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मां की आंचल पर कविता

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मां की आंचल पर कविता

meri maa
meri maa

मां तुने अपने आंचल में सृष्टि को समेटा है,
खुद दर्द सहके हमें जीवन दिया है,

पलकों के झूले में मुझको झूला दे,
लोरी सुना के तु फिर से सुला दे,

आंचल में तेरी है सारा जहाँँ,
वो मेरी प्यारी और न्यारी मां,

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दौलत सोहरत सब है मेरे पास,
सिर्फ तु नहीं है मेरे पास,

वक्त बदल रहा है कि बदल रहे हम, जाने कौन सी मजबूरी है हमारी,

मां परीयों की कोई कहानी सुना दे,
मां चांद पर एक छोटा सा घर बना दे,

मां तेरी याद मुझे बहुत सताती है,
पास आ जाओ थक गया हूं बहुत,

मुझे अपनी आंचल में सुलाओ,
उंगलियाँ फेर कर मेरे बालों में एक बार,
फिर वही बचपन की लोरी सुनाओ ।।
✍?✍?
*परमानंद निषाद*

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