मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा की परिभाषा

सुबह सवेरे घर से भाग जाना 
पेड़ की टहनी से गुल्ली डंडा बनाना 
अमीरी -गरीबी ना छूत अछूत 
सबके निश्छल हृदय मिल के रहना खाना 
कितना सुख चैन था ना थी कोई निराशा 
मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा की परिभाषा ।।

छोटी सी गुल्ली से घूची बनाना 
गुल्ली डंडा के खेल में चूक जाना 
टाँड़ लगाना चपलता दिखाना 
दांव पर एक दुसरे से पदना पदाना 
खेल के धुन में कोई भूखा कोई रह जाता प्यासा 
मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा की परिभाषा ।।

बिना खर्चे का खेल था कितना प्यारा 
ना भेद-भाव सब था अपना यारा 
गुल्ली डंडा की दुनिया में खो जाते हम सब
अपने बचपन का था एक गुली सहारा  
ना पिटाने का डर ना हीं खाने की आशा 
मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा की परिभाषा ।।

छोटी सी गुल्ली डंडे में दुनिया समाहित 
आज भी खेलने को मन है लालायित 
लौट जाये जो बचपन मिल जाये बिछड़े साथी 
जी भर खेलूंगा यही है अभिलाषा 
मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा की परिभाषा ।।

बचपन की वो मिठी- मिठी समृती 
याद आने पर मैं आज भी मुस्कुराता 
मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा की परिभाषा ।।

✒बाँके बिहारी बरबीगहीया 

कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद


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