मेरे बाबा का बक्सा – अतुल भारद्वाज

मेरे बाबा का बक्सा

मेरे बाबा का बक्सा – अतुल भारद्वाज

ये बात उस समय की है-
जब आंसू टपकने से पहले दुकान खुल जाते थे,
बस करवट बदलने से पंखे डोल जाते थे।

उसमें रखा कुछ ऐसा मेरा साजो-सामान था,
जिनका मतलब समझना सिर्फ उनके लिए आसान था।

उन्हें रख दूँ कहीं पे ऐसी जगहें अनेक थीं,
पर दुनिया की सबसे महफूज़ जगह सिर्फ एक थी।

उसमें जन्नत तक जाने के रास्तों का नक्शा था,
कोई छोटी मोटी चीज़ नहीं वो मेरे बाबा का बक्सा था।।

—अतुल भारद्वाज—
Address: Varanasi
Uttar Pradesh

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