मेरे श्रीराम प्रकृति पूजा( श्रीराम जी पर कविता) -राजकुमार मसखरे
मेरे श्रीराम प्रकृति पूजा

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ओ मेरे प्रभु वनवासी राम
आज पधारे अयोध्या धाम,
चौदह वर्ष तक वन को घूमे
अब करो अविरल आराम !
निषाद राज गंगा पार कराये
कंदमूल खा कर,सरिता नहाए,
असुरों को राम तुम खूब संहारे
ऋषिमुनियों को जो थे सताए !
भूमि कन्या थी सीता माई
शेष अवतारी लक्ष्मण भाई,
पर्ण कुटी संग,घास बिछौना
भील राज संग करे मिताई !
मृग को मारे,अहिल्या को तारे
सांप,गरुड़ के संग कागा कारे,
संग संग रहे रीछ वानर मितवा
ऐसे थे प्रभु जी श्रीराम हमारे !
-राजकुमार मसखरे