मेरी जो अरमान है वह कम नहीं
मेरी जो अरमान है वह कम नहीं
मेरी जो अरमान है वह कम नहीं
मेरे जो अरमान ,पूरे ना हो तो गम नहीं ।।
मेरे अरमान खुशियां दिलाएंगी, यह मुझे ना सताएगी।
कभी तो बुलाएगी मुझे ,इसमें कोई उलझन नहीं ।
हमें बढ़ाना है रोज एक कदम ,
कभी ना पीछे हटेंगे हम ।।
कोई आफत आ जाए फिर भी ना झुकेगे हम ।
जब मन में है दम ,कोई शरम नहीं ।।
कड़ी कड़ी जुड़ने से बनती है, कोई चीज बड़ी ।
समझ ले जो इस पहेली को, सुंदर चीज उसी ने गढ़ी।
तुम चीज बनाओ जमाने को दिखाओ।
दिखाने में कोई बंधन नहीं ।
मंजिल पाने तक ना रहे कोई चैन से
ख्वाब टूटे अगर कुछ गिरे नैन से ।
क्या ऐसा सफर अच्छा है? जिसमें रहो तुम बेचैन से ।
यह बचपन है कोई यौवन नहीं।।
मेरे जो अरमान है ……
मनीभाई नवरत्न