मिल-जुल कर सब खेले होली – पंकज
मिल-जुल कर सब खेले होली – पंकज

फाल्गुन का मौसम है आया,
फ़ाग गीत सबको है भाया।
अम्बर पर रंगों का साया ,
सबके मन में प्रेम समाया।
तुम भी आ जाओ हमजोली,
मिल-जुल कर सब खेले होली।
झांझ,नगाड़े,ताशे,ढोल,
कानो में रस देते घोल।
बात सुनो ये बड़ी अनमोल,
द्वेष छोड़ और प्रेम से बोल।
सबके संग हो हंसी ठिठोली,
मिल-जुल कर सब खेले होली।
टेशू, पलाश के फूल खिलेंगे,
होली वाले रंग बनेंगे।
मुख पर मुखौटे खूब सजेंगे,
पी के भंग सब खूब नचेंगे ।
पिचकारी से भिगो दे चोली,
मिल-जुल कर सब खेले होली।
किस्म-किस्म पकवान बनाओ,
और सभी मित्रो को बुलाओ।
बैरी को भी गले लगाओ,
अपने मन से बैर मिटाओ।
सब जन बोले प्रीत की बोली,
मिल-जुल कर सब खेले होली।
पंकज
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