Join Our Community

Send Your Poems

Whatsapp Business 9340373299

मित्र और मित्रता पर कविता – बाबूराम सिंह

0 15



मित्र और मित्रता पर कविता – बाबूराम सिंह


हो दया धर्म जब मित्र में,सुमित्र उसको मानिए।
ना मैल हो मन में कभी, कर्मों को नित छानिए।
आदर सेवा दे मित्र को,प्यार भी दिल से करो।
दुखडा उस पर कभी पड़े, दुःख जाकर के हरो।
मित्रों से नाता कभी भी ,भूल कर तोड़ों नहीं।
पथ बिचमें निज स्वार्थवश,ज्ञातरख छोड़ी नहीं।

भाव रख उत्तम हमेशा , साथ चलना चाहिए।
दीजीये सुख शान्ति उसे,आप भी सुख पाइए।
कभी भूल मित्र से होजा ,उछाले ना फेकना।
सुदामा कृष्ण मित्रता का, नमूना भी देखना।
दे जुबान अपने मित्र को,पिछे कभी न डोलिए।
मन खुशरख उसका सदा,सुमधुर वचन बोलिए।

करना सहायता मित्र की ,हर बात मन से सुनो।
अहम वहम सब छोड दो,मोड़ जीवन पथ चुनो।
शुचि मित्र से महके जीवन,यह कभी भूलो नहीं।
निज मान और सम्मान में,फँस नहीं फूलो कहीं।
निज वचन बुद्धि विचारमें,नहीं तम गम हम घुसे।
करो मित्र का कल्याण सदा,सुकर्म में जोड़ उसे।

ना कर्म पथ छूटे कभी,जगत में जबतक रहो।
विष पी अधर मुस्का सदा ,मित्र संग में सब सहो।
मित्र भाव भव्य लगाव को ,कदापि न ठुकराइए।
श्रध्दा प्रेम विश्वास आश , नित नूतन जगाइए।
जग जीत चाहे हार हो , सार में कायम रहे।
मिशाल मित्रों का अनूठा , है सदा सबही कहे।

———————————————————-
बाबूराम सिंह कवि
बडका खुटहाँ, विजयीपुर
गोपालगंज (बिहार )841508
मो॰ नं॰ – 9572105032
———————————————————-

,

Leave A Reply

Your email address will not be published.