मनहरण घनाक्षरी -बाबूलालशर्मा ‘विज्ञ’
घनाक्षरी छंद विधान: मनहरण घनाक्षरी -बाबूलालशर्मा ‘विज्ञ’
मनहरण घनाक्षरी विधान:–
- ८, ८, ८, ७ (आठ,आठ, आठ,सात) वर्ण
- संयुक्त वर्ण एक ही माना जाता है।
- कुल ३१वर्ण, १६, १५, पर यति हो,( , )
- पदांत गुरु(२) अनिवार्य है,
- चार पद सम तुकांत हो,
- चार पदों का एक छंद कहलाता है।
मनहरण घनाक्षरी का उदाहरण
होली
इन्हें भी पढ़ें
CLICK & SUPPORT
रूप रंग वेष भूषा,
भिन्न राज्य और भाषा,
देश हित वीर वर,
बोल भिन्न बोलियाँ।
सीमा पर रंग सजे,
युद्ध जैसे शंख बजे,
ढूँढ ढूँढ दुष्ट मारे,
सैनिको की टोलियाँ।
भारतीय जन वीर,
धारते है खूब धीर,
मारते है शत्रुओं को ,
झेलते हैं गोलियाँ।
फाग गीत मय चंग
खेलते हैं सब रंग
देश हित खेलते हैं,
खून से भी होलियाँ।
✍© बाबू लाल शर्मा °बौहरा” विज्ञ