श्रीराम पर कविता

श्रीराम पर कविता

ramji par hindi kavita

मर्यादा श्री राम की, जीवन में अपनाय।
अहंभाव को त्यागकर,सदा नम्र बन जाय।।1।।

सेवक हो हनुमान सा,होय न हिम्मत हार।
लाय पहाड़ उठायके, करें दुखों से पार।।2।।


अंत दशानन का हुआ, हुई राम की जीत।
अहं भाव को त्यागकर, करो राम से प्रीत।।3।।

रामचरित से सीख लें, संबंधों का मान।
करें राष्ट्र हित कार्य हम, भारत की संतान।।4।।
????
आत्म मंथन करें सभी, दूर करें कुविचार।
पर दूषण देखें नहीं, खुद में करे सुधार।।5।।

त्याग दान का मूल है, नही करें गुणगान।
करता है गुणगान जो ,नही होय वह दान।।6।।

रामचरित से सीख लें, करें सदा सत्कर्म।
मर्यादा की पालना, होय सभी का धर्म।।7।।

रामराज्य की कल्पना, होय तभी साकार।
शासनऔरअवाम सब,मिलके करे विचार।।8।।

भू जलअग्नि वायु गगन,सभी प्रकृति केअंग।
स्वच्छ रखें इनको सदा,रहें प्रकृति के संग।।9।।

कर्म करो निष्काम तुम, स्वयं अकर्ता जान।
करें आत्ममंथन सभी, गीता का ये ज्ञान।।10।।

©डॉ एन के सेठी

Leave A Reply

Your email address will not be published.