मुझे पता है कविता
खौफ़ में क्या बोलेगा मुझे पता है।
रात को दिन बोलेगा मुझे पता है।1।
वक़्त आने पर मेरे पक्ष में
कोई नहीं बोलेगा मुझे पता है।2।
साजिशें हैं उनकी गवाह भी उनके
जज क्या बोलेगा मुझे पता है।3।
ज़ुल्म के ख़िलाफ़ इस जंग में
आखिर ईमान बोलेगा मुझे पता है।4।
मेरी सच्चाई धरती के साथ
आसमान बोलेगा मुझे पता है।5।
हुकूमत गई फिर उनके ख़िलाफ़
ज़र्रा-ज़र्रा बोलेगा मुझे पता है।6।
— नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479
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