नारी
kavita, naari, priya sharma
नारी
नारी कभी तो दुर्गा है, कभी वो काली है,
नारी अँधेरी रात में, चाँद सी उजाली है।
नारी कभी बेटी है, कभी बहन का फर्ज़ निभाई है,
नारी कभी बहु है, कभी माँ हो होकर माँ का मातृत्व लायी है।
नारी अपने संघर्षों से कभी नहीं घबराई है,
नारी अपने पति हेतु अमर प्रेम बन आयी है।
नारी का सम्मान करोगे तो मान जहाँ में पाओगे,
नारी का अपमान किया तो, मिट्टी बन भूतल में धंस जाओगे।
नारी तुम ऐसा काम करो, जग में कुछ अपना नाम करो,
न कर सको गर कोई बात नहीं, पर अपना तो आत्म सम्मान करो।
शास्त्रों में भी है लिखा, “यत्र नारस्य पूज्यन्ते रम्यन्ते तत्र देवता”,
नारी तुम ये याद रखो चंडी बनकर संहार करो, जो बुरी नज़र से हो देखता।
समय आ गया अब नारी, ना अत्यचार आगे बढ़ाओ,
ना बनोगी अबला-बेचारी, प्रत्यन्चा ये वेदी पर चढ़ाओ।
–प्रिया शर्मा