नारी पर कविता
नारी पर कविता
बदलती चमन की फिजाँ नारियां।
हँसीं हैं बनाती ज़हां नारियां।1
नहीं काम कोई शुरू हो सके।
न करती कभी वो जो हां नारियां।2
मिलेकाम जो भी वो अद्भुत करें ।
सदा छोड़ती हैं निशां नारियां।3
CLICK & SUPPORT
नहीं बात कोई कभी मन रखें।
नयन से है करतीं बयां नारियां।4
सफलताऐं चूमें कदम जब धरें।
बहुत खूबी रखती यहाँ नारियाँ।5
सहे गम हजारों पता ना चले
नहीं खोलती हैं जुबां नारियां।6
प्रवीण त्रिपाठी, नई दिल्ली