यहां पर नशा नाश करके रहे , जो कि नशा मुक्ति पर लिखी गई विनोद सिल्ला की कविता है।

कविता संग्रह
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नशा नाश करके रहे



नशा नाश करके रहे,नहीं उबरता कोय।
दूर नशे से जो रहे, पावन जीवन होय।।

नशा करे हो गत बुरी, बुरे नशे के खेल।
बात बड़े कहकर गए,नशा नाश का मेल।।

नशा हजारों मेल का, सभी नशे बेकार।
जिसे नशे की लत लगी, लुट जाए घर-बार।।

काया को जर्जर करे, सदा रहे बीमार।
मान घटे मदपान से, जा परलोक सिधार।।

नशा नहीं करना कभी, यही बड़ों की सीख।
नशा नहीं जो छोड़ते, पड़े मांगनी भीख।।

नशा बुराई एक है, दुष्परिणाम हजार।
नशेबाज को हर जगह, पड़ती है फटकार।।

सिल्ला की सुन लीजिए,देकर अपना ध्यान।
नशा नाश की राह है, बात भले की मान।।

विनोद सिल्ला

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