Join Our Community

Send Your Poems

Whatsapp Business 9340373299

नशा नर्क का द्वार है – बाबूराम सिंह

0 32

कविता

नशा नर्क का द्वार है
“””””””””””””””””””””””””””””””””

मानव आहार के विरूध्द मांसाहार सुरा,
बिडी़ ,सिगरेट, सुर्ती नशा सब बेकार है।
नहीं प्राणवान है महान मानव योनि में वो,
जिसको लोभ ,काम,कृपणता से प्यार है।

अवगुण का खान इन्सान बने नाहक में,
बिडी़, सुर्ती,सुरा नशा जिसका आहार है।
सर्व प्रगति का गति अवरोध करे,
ऐसा जहर बिडी़ , सुर्ति मांसाहार है।

धन बल नाश करे जीवन उदास करें,
अनेकानेक बिमारी लाता शराब है।
दम्मा अटैक खाँसी सुर्ति सिगरेट देत,
नशा कोई भी जग में अतिशय खराब है।

अंतः से जाग मानव तत्काल त्याग इसे,
मिट जाता जीवन का सारा आबताब है।
सब हो जाता बेकार तन घर परिवार,
मानव जीवन जग खुली किताब है।

काम , क्रोध , लोभ ,मोह ,हैं दास इसका,
कौल है कराल काल अवगुण हजार है।
सर्व के विकास ,मूल महिला का नाश करें,
देव अधोगति यही नरक का द्वार है।

धीक धीक धीक लीकताज्य बिडी़ सिगरेट,
यही तो जीवन का प्रथम सुधार है।
कवि बाबूराम ना मानव अमानव बन,
बिगड़त अनमोल मानव योनिका श्रृंगार है।
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज(बिहार)841508
मो०नं० – 9572105032
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””

Leave A Reply

Your email address will not be published.