साक्षात्कार : निर्मोही जी से व्हाट्सएप गुफ्तगू
13/07/2017, 14:42:17: मनी भाई: आदरणीय बालकदास ‘निर्मोही ‘ जी
नमस्कार ,
कैसे है आप ? आशा है कि आप सकुशल होंगे।
सबसे पहले मैं आपका हृदय से अभिनंदन करता हूँ ।आपने जो मेरे लिए अपना अमूल्य समय , अपने व्यस्ततम जिन्दगी से निकाली है ।इसके लिये मैं सदा आभारी रहूँगा ।
साहित्यिक सम्मेलन के प्रतिभागी बनने पर निश्चित रूप से मनोबल में वृद्धि होती है और लोकप्रियता के साथ ही लेखन क्षमता भी बढ़ती है ऐसा मैं मानता हूँ।
*बेटियाँ बचाओ यारों*
लाडली पिता की वो तो घर के भी लाज हैं।
वीरता से भरी पड़ी बेटियों की गाथा यारों,
लोहा लेती बेटियाँ ही कल और आज है।
फूलों की महक जैसे पंछी की चहक जैसे,
संगीत की शोभा जैसे सुर और साज है।
बेटियाँ बचाओ यारों नाज़ करो उन पर,
कर रही बेटियाँ तो सारे काम काज है।
495004
आपने मेरे लिये व्यस्ततम जिन्दगी से अपना डेढ़ – दो घण्टे से अधिक का बहुमूल्य समय दिया । आपका यह अहसान जीवन भर नहीं भुलाया जा सकता। ईश्वर करे कि आप साहित्य के आसमान में सितारे की तरह प्रदीप्तमान रहें।
आप उन बुलन्दियों को छू पाये जहाँ सभी पहुँचने के लिए प्रयासरत है ।
उन्हें इस मुकाम पर पहुंचने के बाद भी घमण्ड छू तक नहीं पाया है और अनवरत सीखने की ललक बनी हुई है ।
मैं मनीलाल पटेल “मनीभाई ” उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ ।”
मनीलाल पटेल ” मनीभाई ”
भौंरादादर बसना महासमुंद ( छग )