नन्हा मुन्ना करे सिफारिश( १६ मात्रिक )

kavita

मैं इधर खड़ा,तुम उधर खड़े।
सब अपने स्वारथ किधर अड़े।
भावि सुरक्षक बनूँ वतन का,
नन्हा मुन्ना करे सिफारिश,
आज नमन की है ख्वाहिश।

वतन आपका मेरा भी है,
निज हित चाहे,उनका भी है।
नही करे जो बात वतन की,
उनमे कब है सच यह साहस,
आज नमन की है ख्वाहिश।

चाहूँ मिलके नमन करें हम,
करलें याद शहीदों के गम।
रक्षक अरु पहरेदारों की।
मिले दूर कर दें हर खारिश,
आज नमन की है ख्वाहिश।

सब भूले अपने मतलब में,
धन वैभव में या मजहब में।
हम दो दो मिल गाएँ साथी,
कर दें मनभावों की बारिश,
आज नमन की है ख्वाहिश।
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बाबू लाल शर्मा बौहरा

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