कविता संग्रह
कविता संग्रह

नश्वर काया – दूजराम साहू “अनन्य “

कर स्नान सज संवरकर ,
पीहर को निकलते देखा ।


नूतन वसन किये धारण ,
सुमन सना महकते देखा ।
कुमकुम चंदन अबीर लगा ,
कांधो पर चढ़ते देखा ।


कम नहीं सोहरत खजाना ,
पर खाली हाथ जाते देखा ।
गुमान था जिस तन का ,
कब्र में उसे जाते देखा ।


कर जतन पाला था जिस को,
उसकों चिता पर चढ़ते देखा ।
स्वर्ण जैसे काया को ,
धूँ-धूँ कर जलते देखा ।

दूजराम साहू “अनन्य “

निवास -भरदाकला(खैरागढ़)
जिला – राजनांदगाँव (छ.ग.)


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Comments

  1. मनीभाई नवरत्न Avatar
    मनीभाई नवरत्न

    शरीर की नश्वरता पर बेहद सुंदर कविता

  2. महदीप जंघेल Avatar
    महदीप जंघेल

    बहुत बढ़िया साहू जी

  3. Shruti Avatar
    Shruti

    Bahut hi sundar…👏👏👏

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