नव वर्ष आया सखी
नव वर्ष आया सखी
शीतल बयार लिये,
नूतन श्रृंगार किये,
नव वर्ष आया सखी,
कलश सजाइए !
नव उपहार लिये,
नवल निखार लिये,
खुशियाँ अपार लिये,
आनंद मनाइए!
बागन बहार लिये
फूलन के हार लिये,
भ्रमर गुंजार लिये
तोरण बंधाइए!
सुमन सुगंध लिये,
नव मकरंद लिये,
हृदय उमंग लिये,
उत्सव मनाइए!
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विगत बिसार दीजे
अनुभव सार लीजे
श्रम अंगीकार कीजे
आगे बढ़ जाइए।
छल छिद्र त्याग कर,
राग द्वेष राख कर,
निर्मल हृदय धर,
प्रेम अपनाइए!
काम ऐसे नेक करें,
उन्नति की सीढ़ी चढ़ें,
देश व समाज बढ़े,
सोचिए विचारिए!
स्वार्थ भाव फेंक कर,
विनय विवेक भर ,
राष्ट्र के विकास का जी
संकल्प बनाइये!
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——— सुश्री गीता उपाध्याय