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नव वर्ष की कविता 2022

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नव वर्ष की कविता

शुभ आगमन हे नव वर्ष

शुभ आगमन हे नव वर्ष
शुभ आगमन हे नव वर्ष
वंदन अर्चन हे नूतन वर्ष
अभिनंदन हे नवागत वर्ष
नतमस्तक नमन हे नव्य वर्ष।

खुशियों की सौगात लाना,
रोशनी की बरसात लाना,
चंद्रिका की शीतलता बरसाना
नव सृजन मधुमास लाना।


क्लेष, विषाद,कष्ट मिटाना
जो बीत चुका अतीत बुरा
उसको न तुम पुन: दोहराना
कातर मन का क्रंदन धो जाना।


नफ़रत मिटाना उल्फत जगाना
दर्द का तुम मर्ज़ लाना
सावन प्यासा है मेरे मन का
मधुरिम झड़ी फुहार लाना।


मधुर हास परिहास बनकर
पीड़ा का संसार हरकर,
आहट अपनी मुझको दे जाना
तप्त निदाघ में भी कुसुम खिलाना।


दहलीज़ पर रंगोली बनकर
मेरे मन का बुझा दीप जलाना
बचपन की वो हंसी ठिठोली लाना
कैद है जिसमें खुशियों का खज़ाना।

नव प्रीत लिए नव भाव लिए
आशाओं का अंबार लिए
धीरे से हँसकर आना
नव प्राण जीवन में जगाना।


कितने ही नववर्ष आए
मर्म मन का मेरा समझ न पाए
आतप में भी स्निग्धता लाना
शूलों में व्यथित कुसुम खिलाना।


हे नूतन वर्ष आशा है तुझसे
राग द्वेष रहें दूर मुझसे
रूठे हुए को सद्भाव देना
माँ वीणापाणि का आशीष देना।


हर हाल में हर रूप में
शुभ मंगलमय विहान लाना
सुबरन कलम का धनी बनाना
सर्वे भवन्तु सुखिन:का भाव लाना।

कुसुम लता पुंडोरा

साल जो बदला है

साल जो बदला है तो थाली को बदल दो,
कानों में लटकती हुई बाली को बदल दो।
नए साल में कुछ ऐसा कमाल तो कर लो
साले को बदल दो औ साली को बदल दो।।1


काम बदलना है तो सीवी को बदल दो,
गाड़ी को बदल दो औ टीवी को बदल दो।
नए साल में कुछ ऐसा धमाल तो कर लो,
हो गयी पुरानी तो……बीवी को बदल दो।।2


खाना जो पकाना है तो चूल्हे को बदल दो,
दर्द अगर होता है तो कूल्हे को बदल दो।
नए साल में कुछ ऐसा निहाल तो कर लो
हो गया पुराना तो…..दूल्हे को बदल दो।।3


हाल जो बेहाल है तो फिर हाल बदल दो,
धीमी पड़ी रफ्तार तो फिर चाल बदल दो।
नए साल में कुछ ऐसा बवाल तो कर दो,
मिल गया ठिकाना तो ससुराल बदल दो।।4

पैकेट वही रक्खो मगर सामान बदल दो,
पड़ोसन जो तड़पाये तो मकान बदल दो।
राहुल का मरियम से तो निकाह करा दो,
दहेज में फिर पूरा पाकिस्तान बदल दो।।5


शाह को मिलता है जो सत्कार बदल दो।
काम कराने का वो…संस्कार बदल दो
सरकार का जो काम है वो काम तो करे,
सो गयी सरकार तो… सरकार बदल दो।6

दुश्मनी की सारी वो.. तकरार बदल दो,
अपनों के लहू से सने तलवार बदल दो।
पत्थर जो चलाये उसे उसपार तो भेजो,
जो डूब रही नौका तो पतवार बदल दो।।7


अब पाक परस्ती के समाचार बदल दो,
नापाक इरादों का वो व्यवहार बदल दो।
कश्मीर जो मांगे तो तुम लाहौर को घेरो,
भारत का पुराना वही आकार बदल दो।।8


©पंकज प्रियम

ऐ नववर्ष !

आज सारा विश्व उल्लसित है
नव वर्ष में नव-उमंगों के साथ,
विगत की खट्टी-मीठी यादों को,
इतिहास के पन्नों में बाँट,
स्वागत है तेरा.. नया साल !
प्रतिक्षित नयन तुम्हें निहार रहे हैं
लेकर कई सवाल।

शायद!तुम कुछ नया छोड़ सको
और भारत के इतिहास में
स्वर्णिम-पन्ने जोड़ सको

क्या सत्य ही तुम
कुछ कर पाओगे?
देश के गहरे जख़्म भर पाओगे ?

अरे!!
देश का एक वर्ग तो
तुम्हें जानता ही नहीं ।
क्या है नववर्ष?क्या उमंगें?क्या हर्ष?

जिनकी सुबह भूख से होती हो ,
तब रात खाने को सूखी रोटी हो।
और किसी-किसी को वो भी नसीब नहीं,
बदन पर कपड़े
और सिर पर छत भी नहीं,
वो क्या जाने क्या है नया साल ?
जो जीवन जीते हैं खस्ता हाल।

इन झूठे स्वप्न और आडंबरों से,
दिन और महीनों के व्यर्थ कैलेंडरों से
उनका क्या वास्ता?
जिनका जीवन है काँटों भरा रास्ता ।

जिस दिन उनके घर चुल्हा जलता है
आँखों में नववर्ष का सपना पलता है।

झाँककर देखो उनके दिलों में,
उनको साल का कुछ पता नहीं
जो जीते हैं फूटपाथ पर
और मरते भी वहीं हैं।
न हो नसीब जिनके लाशों को क़फन
उनके जीवन में कभी नववर्ष होता नहीं है ।

ऐ नववर्ष!
क्या सच में तुम.. कुछ कर पाओगे ?
भूखों को रोटी, गरीबों को घर दे पाओगे?
हिंसाग्रस्त देश को, कोई राह दोगे?
नफरत भरे दिलों में, चाह दोगे?

गर ऐसा है तुम्हारे दामन में कुछ
तो स्वागत है तुम्हारा हर्षित मन से
वरना तुम भी यूँ ही बीत जाओगे
बीते वर्ष की तरह रीत जाओगे।।

सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़

ऐ नववर्ष !

आज सारा विश्व उल्लसित है
नव वर्ष में नव-उमंगों के साथ,
विगत की खट्टी-मीठी यादों को,
इतिहास के पन्नों में बाँट,
स्वागत है तेरा.. नया साल !
प्रतिक्षित नयन तुम्हें निहार रहे हैं
लेकर कई सवाल।

शायद!तुम कुछ नया छोड़ सको
और भारत के इतिहास में
स्वर्णिम-पन्ने जोड़ सको

क्या सत्य ही तुम
कुछ कर पाओगे?
देश के गहरे जख़्म भर पाओगे ?

अरे!!
देश का एक वर्ग तो
तुम्हें जानता ही नहीं ।
क्या है नववर्ष?क्या उमंगें?क्या हर्ष?

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जिनकी सुबह भूख से होती हो ,
तब रात खाने को सूखी रोटी हो।
और किसी-किसी को वो भी नसीब नहीं,
बदन पर कपड़े
और सिर पर छत भी नहीं,
वो क्या जाने क्या है नया साल ?
जो जीवन जीते हैं खस्ता हाल।

इन झूठे स्वप्न और आडंबरों से,
दिन और महीनों के व्यर्थ कैलेंडरों से
उनका क्या वास्ता?
जिनका जीवन है काँटों भरा रास्ता ।

जिस दिन उनके घर चुल्हा जलता है
आँखों में नववर्ष का सपना पलता है।

झाँककर देखो उनके दिलों में,
उनको साल का कुछ पता नहीं
जो जीते हैं फूटपाथ पर
और मरते भी वहीं हैं।
न हो नसीब जिनके लाशों को क़फन
उनके जीवन में कभी नववर्ष होता नहीं है ।

ऐ नववर्ष!
क्या सच में तुम.. कुछ कर पाओगे ?
भूखों को रोटी, गरीबों को घर दे पाओगे?
हिंसाग्रस्त देश को, कोई राह दोगे?
नफरत भरे दिलों में, चाह दोगे?

गर ऐसा है तुम्हारे दामन में कुछ
तो स्वागत है तुम्हारा हर्षित मन से
वरना तुम भी यूँ ही बीत जाओगे
बीते वर्ष की तरह रीत जाओगे।।

नव वर्षारंभ

नव वर्षारंभ पर
मिट जाए सारे कलंक,
हो जायें जुदाई-जुदाई
नव वर्ष की बधाई-बधाई
बज उठी उमंग बिगुल,
अंतरपट की है वफाई।
जिन्दगी जन्नत सी हो,
न हों कोई हरजाई…
नव वर्ष की बधाई-बधाई
दसों दिशाओं से मिले,
सफल प्रखर मधुराई।
मधुर-मधुर जीवन पथ,
बनी रहे सुखदाई…
नव वर्ष की बधाई-बधाई
अनुपम आप जगत के,
न हो कभी तन्हाई ।
सुखद के पीहूर और
विजयी के बजे शहनाई…
नव वर्ष की बधाई-बधाई
नव वर्षारंभ पर
मिट जाए सारे कलंक,
हो जायें जुदाई-जुदाई
नव वर्ष की बधाई-बधाई

जगत नरेश

नए -वर्ष का नया सवेरा आने वाला है :-

कुछ बीत गया है और कुछ आने वाला है ।
एक वर्ष जीवन से और घट-जाने वाला है ।

खट्टे – मीठे कुछ यादें मन मे छुपे हुए है ।
जो कभी हँसाने तो कभी रुलाने वाला है ।

लड़खड़ाना मत नए मोड़ देख कर सफऱ में ,
क्योंकि गिरे तो यहां नही कोई उठाने वाला है ।

अपने मन की बस सुनना आगे इस सफर में ।
क्योंकिं हरेक व्यक्ति राह से भटकाने वाला है।

वक्त के साथ चलोगे ग़र वक्त के हिसाब से ।
तो वो तुम्हें मंजिल के क़रीब लेजाने वाला है ।

सारे गीले-शिकवे मिटा दो हर गम मन से हटा दो ।
आने वाला पल अनन्त खुशियां लाने वाला है ।

जो बीत गई सो बात गई भूला दो बीतें लम्हों को ।
क्योंकिं नए -वर्ष का नया सवेरा आने वाला है ।

-आरव शुक्ला रायपुर , (छ .ग)

है भास्कर तेरी प्रथम किरण

है भास्कर तेरी प्रथम किरण,
जब वर्ष नया प्रारम्भ करे।
जन जन की पीड़ा तिरोहित कर,
नव खुशियो को प्रारम्भ करे।
इस धरती,धरा, भू,धरणी पर,
मानवता का श्रृंगार झरे।
अब विनयशील हो प्राणी यहाँ,
बस भस्म तू सबका दम्भ करे।
है भास्कर तेरी……..

तेरा-मेरा,मेरा-तेरा सब,
त्याग के नव निर्माण करे।
आपस में ऐसा समन्वय हो,
मिल सृष्टि का कल्याण करे।
उत्पात,उपद्रव,झगड़ो का,
क्या मोल है ये आभास रहे।
भाईचारे का कर विकास,
हर धर्म का हम परित्राण करे।
है भास्कर तेरी…..

अब देख मनुज की पीड़ा को,
आँखों में नीर निरन्तर हो।
दुःख दर्द सभी का साझा रहे,
मानवता अंत अनन्तर हो।
उत्तुंग शिखर पर संस्कृतियां,
गाएं केवल भारत माँ को।
निज देश हित बलि प्राणों की,
प्रणनम्य, जन्म जन्मान्तर हो।

जब जब भी धर्म ध्वजा फहरे,
तिरंगा वहाँ अनिवार्य रहे।
उद्घोषित कोम का नारा जहाँ,
जय हिन्द सदा स्वीकार्य रहें।
गीता,कुरान,गुरु ग्रंथ साहब,
बाइबिल के रस की धार बहे।
सब माने अपने धर्म यहाँ,
पर भारत माँ शिरोधार्य रहें।

हर पल हर क्षण जननी का हो,
हर भोंर रम्य,अभिराम रहे।
सुरलोक स्वर्ग धरा पर हो,
मनभावन नित्य जहाँन रहे।
माँ भारती जग में हो विख्यात,
ब्रम्हांड ही हिंदुस्तान बने।
मन में सबके वन्दे मातरम् ,
और मुख से जन गण गान रहे।

   विपिन वत्सल शर्मा
       सागवाडा(राज.)

स्वागत नूतन वर्ष

नूतन वर्ष लेकर आये,
           नव आशाओं का संचार।
नई सोच व नई उमंग से,
            मानवता की हो जयकार।।
कठिन राहों का साहस से,
            डटकर करें सदा सामना।
खुशियाँ लेकर आये उन्नीस।
             नव वर्ष की शुभकामना।।
प्रेम भाव का दीप जले,
             हो हर मन में उजियारा।
सारे जग में अब बन जाये,
             अपना ही यह भारत प्यारा।।
जले ज्ञान का दीपक सदा,
              मिटे जगत से अंधकार।….
नूतन वर्ष लेकर आये,
           नव आशाओं का संचार।
नई सोच व नई उमंग से,
            मानवता की हो जयकार।। …..
बँधे एकता सूत्र में हम सब,
            नव वर्ष में मिले यही वरदान।
भारत भू की एकता जग में,
             बन जाये सबकी पहचान।।
मिट जाये हर मन से अब,
             राग द्वेष का मैल सारा।
किरणें फैले पावनता की,
             हर आँगन खुशियों की धारा।।
अन्तः मन की जगे चेतना,
            बहे मानवता की अब धार।।….
नूतन वर्ष लेकर आये,
           नव आशाओं का संचार।
नई सोच व नई उमंग से,
            मानवता की हो जयकार।। ……
                   ……….भुवन बिष्ट
                   रानीखेत (उत्तराखंड )

नावां बछर आगे

हित पिरित जोरियाइ के एदे आगे रे संगी।
नावां नावां सीखे के करव ,
नावां बछर आगे रे संगी।

जून्ना पीरा बिसरा के , निकता बुता करव ग।
चारी चुगली भूला के , मया के सुरता करव ग।
सत ईमान ल हिरदे म भर ले,
जिन्गी म तोर कदर आगे रे संगी।
नावां बछर आगे रे संगी
नशा ल बैरी बना के, तन ल बने सिरजावव।
नोनी बाबू ल पढ़ा लिखा के, परिवार ल अंजोर करावव।
जम्मो के हांसी मुख म लाके, जिन्गी म तोर सुधार आही रे संगी।
नावां बछर आगे रे संगी। पान झरे ड़ोंगरी अप

न के, हरियाय के परन करले।
सुग्घर होही फूल फुलवारी, जियरा म गुनन करले।
मेहनत कर ले चेत लगाके,
जिन्गी के नावां पीका उलहा जाही रे संगी।
नावां बतर आगे रे संगी।

नावां बछर आगे रे संगी, नावां बछर आगे जी।
नाम बगर जाही रे संगी, नावां बछर आगे जी।

तेरस कैवर्त्य (आँसू)
सोनाडुला, (बिलाईगढ़)
जि. – बलौदाबाजार (छ. ग.)

लेकर आया नूतन वर्ष

नव आशाओं की किरणें,
लेकर आया नूतन वर्ष।
       अब धरा में फैले हरियाली,
       शीश में हो खुशहाल कलश।
हिंसा बैर भाव अज्ञानता,
मिटे जग से यह कटुता।
        ज्ञान के चक्षु खुल जायें,
        मानव मानवता दिखलायें।
बिते वर्ष दशक युगान्तर,
मिटा न पाये कालान्तर।
        व्याप्त जग में है भयंकर,
        राजा रंक का ही अंतर।
एक बगिया के हैं फूल,
रंग भिन्न एक हैं धूल।
        एक है सबका बनवारी,
        सिंचे मानवता की क्यारी।
राग द्वेष की बहे न धारा,
हिंसा मुक्त हो जगत हमारा।
         सद्गगुणों को हम अपनाकर,
         झलक एकता की दिखलाकर।
नमन करें सदा भारत माता को,
चहुँ दिशा में खुशहाली फैलाकर ।
           सोच नई व नई उमंग से,
           भर दें ज्ञान का अब तरकश।
नव आशाओं की किरणें,
लेकर आया नूतन वर्ष।।
         

      …….भुवन बिष्ट
            रानीखेत (उत्तराखंड )

नव वर्ष ये लाया है बहार

नव वर्ष ये लाया है बहार,
  फैले खुशियाँ जीवन अपार।
    मंगल छाये घर घर बसंत,
       दुख दर्द मिटे पीड़ा तुरन्त।।
         
पावन फूलों की बेला हो,
    जीवन बस प्रीति मेला हो।
      हर आँगन गूंजे किलकारी,
         मनभावन फूलों की क्यारी।।
                     
झनके वीणा के सुगम तार,
  सुर की सरिता की सरल धार।
     उन्नति पाओ उतंग शिखर,
       आखर नवल बन हो प्रखर।।

कर दो प्रकृति सुंदर श्रृंगार,
  हर युवा के कांधे पे हो भार।
    जीवन मधुमास सा प्यारा हो,
       ये देश हमारा न्यारा हो।।

सुख जंगल मंगल छा जाये,
   धन की वर्षा मिलकर पाये।
       चहूँ दिश में फैले प्रेम प्यार,
          नव वर्ष का लो मीठा उपहार।।

सरिता सिंघई कोहिनूर

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