नवदेवियों पर हिंदी कविता -डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी
यह नवदेवियों पर आधारित हिंदी कविता है जो कि डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी द्वारा रचित है.
नवदेवियों पर हिंदी कविता -डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

नवरात्रि में सोती आंखों को जगाते हैं।
माँ के स्वरूपों को आज जान जाते हैं।
नौ स्वरूपों के हम करते हैं नौ प्रण कि,
नहीं करेंगे जन्म ग्रहण करती हुई “शैलपुत्री” की भ्रूण हत्या।
करेंगे “ब्रह्मचारिणी” को शिक्षित।
खड़ी होगी विवाह पूर्व निर्मल “चंद्रघंटा” अपने पैरों पर।
नहीं सौपेंगे उसे किसी दहेज के दानव को।
ना होगी कमी गर्भ धारण की हुई “कूष्मांडा” को पोषक तत्वों की।
रहेगी खुली आँखों में श्रद्धा जब “स्कन्दमाता” करेगी बच्चे का पालन-पोषण।
ना करेंगे अधर्म किसी “कात्यायनी” पर।
ना होंगे क्रोधित “कालरात्रि” के क्रोध के समक्ष,
और बनाएंगे जीवन को सुखमय।
रहेंगे मृदुल “महागौरी” के ह्र्दय की तरह ही,
ना उठाएंगे लाभ उनके भोलेपन का।
हो महाप्रयाण “सिद्धिदात्री” का, पहले उसके करवाएंगे उनका अच्छा इलाज।
ये नौ प्रण कर इस बार नवरात्रि मनाते हैं।
तुम मनाओगे ना?
-०-
- डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी
उदयपुर
पढ़ कर संतुष्टि हुई। रचना बहुत सुंदर है।
डॉक्टर साहब अच्छा लिखा है।
Kanya pujan ke waqt yehi bhav hone chahie…
माँ की आराधना इससे अच्छी और क्या हो सकती!!
वाह, क्या बात है। समसामयिक और लाजवाब।
बहुत ही बढ़िया कविता। माता जी की जय।