ओ मेरे मन मीत
ओ मेरे मन मीत

ओ मेरे मन मीत प्रीत तुम याद बहुत ही आते हो ।
आने को कह गये आ जाओ क्यों रुलाते हो ।
जब से दूर गये हो मुझसे जीवन में उल्लास नहीं ।
सपने सारे बिखर गये जिन्दगी में सुवास नहीं ।
अब लगता है ह्रदय के टुकड़े होकर बिखर गये ।
बीती यादें ही बाकी है सपने तितर बितर गये।
आँखों में तुम ही तुम हो निंदिया मेरी उड़ाते हो।।
आने को कह गये-
तुम सरहद पर जा रहे थे आँख मेरी भर आई।
मुझसे पहले फर्ज वतन का मैं कुछ न कह पाई।
मैं ठगी सी देख रही थी हाय ये कैसी जुदाई ।
वो गुनगुनाना मुस्कुराना याद बहुत तुम आते हो ।।
आने को कह गये–
जा रहा हूँ प्रिय अब होली में ही आऊँगा ।
ये लो ये अँगूठी रख लो उसी समय पहनाऊँगा ।
कभी उदास न होना तुम घोड़ी में चढ़ कर आऊँगा।
सैनिक की बनोगी संगिनी ड़ोली में बिठा ले जाऊँगा।
राह देखती बैठी हूँ तुम क्यों न अभी तक आते हो ।।
आने को कह गये–
आये प्रिय तुम होली में तिरंगे में लिपट कर आये हो ।
मुझ पर क्या बीती मैं क्या कहूँ अँगूठी जो पकड़ाये हो।
मेंहदी न रचेगी हाथों में न ही ड़ोली सजाऊँगी।
सौ जन्मों तक इंतजार करूँगी तुम्ही से माँग भराऊँगी ।।
क्यों न लौट कर आये प्रिय नैनों में तुम्ही समाये हो।।
आने को कह गये आ जाओ क्यों रुलाते हो ।
केवरा यदु “मीरा “