राउत नाचा पर कविता काव्य विधा : -रोला दीवाली के पूर्व, नाचते राउत नाचा।हिन्दू का त्योहार, सदा हिय प्रेमिल वाचा ।।यादव कुल समुदाय, नृत्य इस पर हैं करते ।हाना दोहे…
शिवकुमार श्रीवास "लहरी" छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध कवि हैं। उनकी यह कविता "चँदैनी पर रोला" छत्तीसगढ़ की लोककथा लोरिक-चंदा पर आधारित है। इस कविता के माध्यम से उन्होंने छत्तीसगढ़ की…
शिवकुमार श्रीवास "लहरी" छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध कवि हैं। उनकी यह कविता "डंडा नृत्य" छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय नृत्यों में से एक, डंडा नृत्य पर केंद्रित है। डंडा नृत्य छत्तीसगढ़ की…
शिवकुमार श्रीवास "लहरी" छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध कवि हैं। उनकी यह कविता "पंडवानी" छत्तीसगढ़ की लोकप्रिय लोककला पंडवानी पर केंद्रित है। पंडवानी महाभारत की कथा को गायन और नृत्य के…
शिवकुमार श्रीवास "लहरी" छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध कवि हैं। उनकी यह कविता "ददरिया" छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति और विशेषकर ददरिया गीत पर केंद्रित है। ददरिया छत्तीसगढ़ का एक लोकप्रिय…
शिवकुमार श्रीवास "लहरी" छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध कवि हैं। उनकी यह कुंडलिया "पंथी पर" छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति और विशेषकर पंथी नृत्य पर केंद्रित है। पंथी नृत्य छत्तीसगढ़ का…
हाइकु अर्द्धशतक ३०१/आज के नेताहै जनप्रतिनिधिनहीं सेवक। ३०२/है तू आजादबचा नहीं बहानातू आगे बढ़। ३०३/.मित्र में खुदाकरे निस्वार्थ प्रेमरिश्ता है जुदा। ३०४/ छाया अकालजल अमृत बिनधरा बेहाल। ३०५/ सांध्य सिताराशुक्र…
हाइकु अर्द्धशतक २५१/ रात की सब्जी~जय वीरू की जोड़ीआलू बैंगन। २५२/ पंचफोरन~बैंगन की कलौंजीप्लेट में सजा। २५३/ बाजार सजा~डलिया में बैंगनइतरा रहा। २५४/ सब्जी का राजा~(बैंगन)ताज भांति सिर मेंडंठल सजा।…
हाइकु अर्द्धशतक २०१/ प्रभात बेला~ शहर में सजती रंगीन मेला। २०२/ हिलते पात~ दिवस सुधि लेते आई प्रभात। २०३/ खनिज खान~पठार की जमीनचौड़ा सपाट। २०४/रूई बिछौना~पामीर के पठारसंसार छत।…
ढोंगी पर कविता HINDI KAVITA || हिंदी कविता चलती रेल में एक पंडित,सफाचट मूँछें लम्बी चूँदी,देखता विरल नयनों से,बैठ सीट में आँखें मूँदी ! एक अधेड़ यात्री का,हाथ खोलकर लगा…
जो भारत मां के प्यारे हैं -शिवराज चौहान *कलम तू बोल जय उनकी,* *जो भारत मां के प्यारे हैं।**वो सूरज हैं वो चंदा हैं,* *वो बलिदानी सितारे हैं।।*ये मिट्टी की…
हाइकु अर्द्धशतक १/बसंत नाचेगाये गीत फाग केप्रेम राग के। २/बासंती चिट्ठीसंवदिया बन केआया बयार। ३/ बासंती हवा रंग बिखर गया। निखर गया। ४/फलक तले खिले सरसों फुलबसंत पले। ५/पी…