जल संकट पर कविता
जल संकट पर कविता
पानी मत बर्बाद कर ,
बूँद – बूँद अनमोल |
प्यासे ही जो मर गये ,
पूँछो उनसे मोल || 1 ||
अगली पीढ़ी चैन से ,
अगर चाहते आप |
शुरू करो जल संचयन ,
मिट जाये सन्ताप || 2 ||
पानी – पानी हो गया ,
बोतल पानी देख |
रुपयों जैसा मत बहा ,
अभी सुधारो रेख || 3 ||
जल से कल है दोस्तो ,
जल से सकल जहान |
जल का जग में जलजला ,
जल से अन्न किसान || 4 ||
वर्षा जल संचय करो ,
सदन बनाओ हौज |
जल स्तर बढ़ता रहे ,
सभी करें फिर मौज || 5 ||
जल को दूषित गर किया ,
मर जायें बेमौत |
‘माधव’ वैसा हाल हो ,
घर लाये ज्यों सौत || 6 ||
जल जीवन आधार है ,
और जगत का सार |
‘माधव’ पानी के बिना ,
नहीं तीज – त्योहार || 7 ||
जल से वन – उपवन भले ,
भ्रमर करें गुलजार |
जल बिन सूना ही रहे ,
धरा हरा श्रंगार || 8 ||
पानी से घोड़ा भला ,
पानी से इंसान |
पानी से नारी चले ,
पानी से ही पान || 9 ||
नीरद , नीरधि नीर है ,
नीरज नीर सुजान |
‘माधव’ जन्मा नीर से ,
जान नीर से जान || 10 ||
#नारी = स्त्री , नाड़ी , हल
#जान = प्राण , समझना
#रेख = लाइन , कर्म
#जलजला – प्रभाव , महत्व
#सन्तोष कुमार प्रजापति माधव