बालवृंद के प्रिय चाचा नेहरू ने स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ एक स्नेहशील व्यक्तित्व के रूप में भी ख्याति पाई। उन्हीं का जन्म दिवस प्रति वर्ष 14 नवम्बर को बाल- -दिवस के रूप में मनाया जाता है।
आ गया बच्चों का त्योहार
• विनोदचंद्र पांडेय ‘विनोद’
सभी में छाई नयी उमंग, खुशी की उठने लगी तरंग, हो रहे हम आनन्द-विभोर, समाया मन में हर्ष अपार !
आ गया बच्चों का त्योहार !
करें चाचा नेहरू की याद, जिन्होंने किया देश आजाद, बढ़ाया हम सबका, सम्मान, शांति की देकर नयी पुकार ।
आ गया बच्चों का त्योहार !
चलें उनके ही पथ पर आज, बनाएं स्वर्ग-समान समाज, न मानें कभी किसी से बैर, बढ़ाएं आपस में ही प्यार !
आ गया बच्चों का त्योहार !
देश-हित में सब-कुछ ही त्याग, करें भारत मां से अनुराग, बनाएं जन-सेवा को ध्येय, करें दुखियों का हम उद्धार । आ गया बच्चों का त्योहार ।
कदम मिला बढ़े चलो
● मलखानसिंह सिसोदिया
सुनील आसमान है हरी-भरी धरा,
रजत भरी निशीथिनी, दिवस कनक भरा।
खुली हुई जहान की किताब है पढ़ो,
बढ़ो बहादुरों, कदम मिला चलो बढ़ो ।।
चुनौतियाँ सदर्प वर्तमान दे रहा,
भविष्य अंध सिंधु बीच नाव खे रहा ।
भिड़ो पहाड़ से अलंघ्य श्रृंग पर चढ़ो,
विकृत स्वदेश का स्वरूप फिर नया गढ़ो ।
विवेक, कर्म, श्रम, ज्योति-दीप को जला,
प्रमाद, बुजदिली, विषाद हिमशिला गला ।
अजेय बालवीर ले शपथ निडर बढ़ो,
सुकीर्ति दीप्त से स्वदेश भाल को मढ़ो ||
समाज-व्यक्ति, राष्ट्र- विश्व शृंखला मिला,
अशेष मातृभाव शत कमल – विपिन खिला ।।
अटूट प्रेम-सेतु बाँधते हुए बढ़ो,
अखंड ऐक्य-केतु गाड़ते हुए बढ़ो।
चाचा नेहरू
० सुनील श्रीवास्तव ‘श्री’
बच्चों के चाचा नेहरू इन्सान ही तो थे
जन-जन करोड़ों की मधुर मुसकान भी तो थे
गांधी-टोपी और कोट पहचान थी उनकी
महके हुए गुलाब-सी मुसकान थी उनकी
भारतीय जनतंत्र के प्रथम प्रधान भी तो थे । जन-जन …
दौलत की चकाचौंध से कोसों रहे वो दूर
जन-जन समाज जोड़ने से हो गए मशहूर
गांधी के दाएँ हाथ की कमान भी तो थे । जन-जन ….
शांति के पुकारी औ’ बच्चों के प्यारे थे
लाखों देशवासियों की आँखों के तारे थे
गुटनिरपेक्षता व पंचशील की वे जान भी तो थे । जन-जन …
मोतीलाल के लाल सचमुच थे कमाल
लेखन के क्षेत्र में भी कर दिया धमाल
‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ की शान भी तो थे । जन-जन ….
आजादी की लड़ाई में न इनका जवाब था
शोलों की धधक में भी हिमानी मिजाज था
गाँधी की अहिंसा की पहचान भी तो थे । जन-जन …
जनता को रोजी-रोटी औ’ शिक्षा दिला सके
ये और बात है कि हम तिब्बत ना पा सके
ये देश-दुनिया की उच्च मचान भी तो थे । जन-जन …
हँसमुख स्वरूप उनका क्या भुला सकेंगे हम ?
अफसोस भी तो है उन्हें न पा सकेंगे हम
भगवान् की इच्छा के निगेबहान भी तो थे । जन-जन …