खेती किसानी पर कविता
खेती किसानी पर कविता

नांगर बइला पागा खुमरी संग
हावय हमरो मितानी
होवत बिहनिया सूरूज जोत संग
करथंन खेती किसानी
धरती दाई के सेवा बजाथंव
चरण मा मांथ नवावंव
रुख राई मोर डोंगरी पहाड़ी
बनके मँय इतरावंव
कलकल छलकत गंगा जइसन
धार हे अरपा के पानी
होवत बिहनिया सूरूज जोत संग
करथंन खेती किसानी
हरियर हरियर खेती अउ डोली
लहर लहर लहरावय
पड़की परेवना कोयली मिट्ठू
करमा ददरिया गावय
धरती दाई के कोरा मा सगरो
खुश होथे जिनगानी
होवत बिहनिया सूरूज जोत संग
करथंन खेती किसानी
भुंइया के भगवान हरन गा
धनहा ले सोना उगाथंन
रहिथन सुख दुख मा संग सबो के
सुमता के दीया जलाथंन
मया पीरीत के बंधना गजब हे
दुनिया मा नइहे सानी
होवत बिहनिया सूरूज जोत संग
करथंन खेती किसानी
आवव भइय्या आवव दीदी
आवव हितवा मितान
रक्षा करबो धरती दाई के
बनके जवान किसान
छत्तीसगढ़ के महिमा अजब हे
सुग्घर हावय निशानी
होवत बिहनिया सूरूज जोत संग
करथंव खेती किसानी
तोषण चुरेन्द्र दिनकर
धनगांव डौंडी लोहारा
बालोद छत्तीसगढ़