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गणतंत्र दिवस पर कविता

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गणतंत्र दिवस पर कविता : गणतन्त्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था।

गणतंत्र पर दोहा

वीरों के बलिदान से,मिला हमें गणतंत्र।
जन-जन के सहयोग से,बनता रक्षा यंत्र।।

गणतंत्र दिवस हो अमर,वीरों को कर याद।
अपनों के बलिदान से,भारत है आजाद।।

भगत सिंह,सुखदेव को,नमन करे यह देश।
आजादी देकर गए,सुंदर सा परिवेश।।

आपस में लड़ना नहीं,हम सब हैं परिवार।
बंद करें संवाद से,आपस के तकरार।।

झंडा लहराते रहें,भारत की यह शान।
गाएँ झंडा गीत हम,राष्ट्र ध्वज हो मान।।

राजकिशोर धिरही

गणतंत्र दिवस पर कविता

सज रहा गांव गली

सज रहा गांव गली, सज रहा देश।
दिन ऐसा आया है ,  जो है विशेष।
दुनिया बदल रही पल पल में।
चलो आज हम भी  लगा लें रेस।
जश्न ए आजादी का ,हम मनाएंगे
चलो इक नया इंडिया, हम बनाएंगे ।
तो आओ मेरे संग गाओ, मेरे यारा
झूमते हुए लगालो ये नारा…
वन्दे मातरम….


सुनो सुनो ध्यान से, मेरी जुबानी।
तकलीफ़ो से भरी, देश की कहानी।
फिरंगियों ने की थी जो , मनमानी।
पड़ गई जिनको  भी मुंह की खानी ।
देश के वीरों का नाम, हम जगायेंगे।
चलो इक नया इंडिया, हम बनाएंगे ।
तो आओ मेरे संग गाओ, मेरे यारा
झूमते हुए लगालो ये नारा…
वन्दे मातरम….

-मनीभाई नवरत्न

जन गण मन गा कर देखो- राकेश सक्सेना

बस एक बार छू भर कर देखो,
दिल की तह से महसूस कर देखो,
गांधी भगत पटेल की तस्वीर पर,
ख़ून पसीने की बूंदें तो देखो।।

कितना त्याग किया वीरों ने,
तस्वीर में छिपी सच्चाई तो देखो,
बीवी बच्चे परिवार का मोह,
देश हित में छोड़ कर तो देखो।।

भूखे-प्यासे जंगल बीहड़ों में,
भटक-भटक जी कर तो देखो,
मीलों पैदल चल चलकर,
जनजन में भक्ति जगाकर देखो।।

आज़ादी हमें मिली थी कैसे,
एकबार तस्वीरें छू कर तो देखो,
अनशन आंदोलन फांसी का दर्द,
देशहित में मर कर तो देखो।।

आज़ाद भारत में इतराने वालों,
वीर सेनानियों के आंसू तो देखो,
क्या हमने राष्ट्र धर्म निभाया,
दिल पर हाथ रख कर तो देखो।।

कालाबाजार, भ्रष्टाचारों से,
मुक्त भारत के सपने तो देखो,
वीर सेनानियों की तस्वीरों पर,
सच्ची श्रद्धांजलि देकर भी देखो।।

फिर गर्व से सर उठा कर देखो,
फिर झण्डा ऊंचा लहराकर देखो,
फिर दिल में भक्ति जगाकर देखो,
फिर जन गण मन भी गा कर देखो।।

राकेश सक्सेना

आया दिवस गणतंत्र है

आया दिवस गणतंत्र है
फिर तिरंगा लहराएगा
राग विकास दोहराएगा
देश अपना स्वतंत्र है
आया दिवस गणतंत्र है।
नेहरू टोपी पहने हर
नेता सेल्फ़ी खिंचाएगा।
आज सत्ता विपक्ष का
देशभक्ति का यही मन्त्र है
आया दिवस गणतंत्र है।
चरम पे पहुची मंहगाई
हर घर मायूसी है छाई
नौ का नब्बे कर लेना
बना बाजार लूटतंत्र है
आया दिवस गणतंत्र है।


भुखमरी बेरोजगारी
मरने की है लाचारी
आर्थिक गुलामी के
जंजीरो में जकड़ा
यह कैसा परतन्त्र है
आया दिवस गणतंत्र है।
सरहद पे मरते सैनिक का
रोज होता अपमान यहाँ
अफजल याकूब कसाब
को मिलता सम्मान यहां
सेक्युलरिज्म वोटतंत्र है
आया दिवस गणतंत्र है।
सेवक कर रहा है शासन
बैठा वो सोने के आसन
टूजी आदर्श कोलगेट
चारा खाकर लूटा राशन
लालफीताशाही नोटतंत्र है
आया दिवस गणतंत्र है।


भगत -राजगुरु- सुभाष-गांधी
चला आज़ादी की फिर आँधी
समय की फिर यही पुकार है
जंगे आज़ादी फिर स्वीकार है
आ मिल कसम फिर खाते हैं
देश का अभिमान जगाते हैं।
शान से कहेंगे देश स्वतंत्र है
देखो आया दिवस गणतंत्र है।


      ©पंकज भूषण पाठक”प्रियम”

अमर रहे गणतंत्र दिवस

अमर रहे गणतंत्र दिवस
ले नव शक्ति नव उमंग
अमर रहे गणतंत्र दिवस।
ले नव क्रांति शांति संग।


हो सबका ध्वज तले संकल्प।
एक रहें हम नेक रहें।
हो हम सबका एक विकल्प।
ममता समता हो हम में


नव भारत की नई नींव
मज़बूत बनाएँ हम सबमें
इस शक्ति का हो संचार
कुर्बां होने की शक्ति हो।


हममें निहित हो सदाचार।
विश्व बंधुत्व पर कर विश्वास।
ऐ बंधु कदम बढाये जा
अंतिम श्वास तक नि:स्वार्थ।


विश्व शांति की लिए मशाल।
फैला दे जग में संदेश
लिए विशाल लक्ष्य विकराल।
जला दे अंधविश्वास की मूल।
तोड़ दे जाति भाषा वाद।
प्रगति के ये बाधक शूल।

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अमर रहे गणतंत्र दिवस।
सच कर दो यह विश्वास
अमर रहे गणतंत्र दिवस।

  • सुनील गुप्ता  सीतापुर सरगुजा छत्तीसगढ

मैंने हिंदुस्तान देखा है

मैंने जन्नत नहीं देखा यारों मैंने हिंदुस्तान देखा है
भाईचारे से रहते हर हिंदू और मुसलमान देखा है
गीता-क़ुरान रहते साथ और पवित्र गंगा कहते हैं
हरे-भगवे की छोड़ बैर सब जय जय तिरंगा कहते हैं


लहराओ तिरंगा और सब जय जयकार करो
दुश्मन से ना लड़ो बुराइयों पर ही वार करो
सलाम ऐसे सैनिक जो स्वार्थ नंगा कहते हैं
घर वालों की फ़िकर छोड़ जय जय तिरंगा कहते हैं


तीन रंग के झण्डे में अद्भुत सामर्थ्यता छाई है
ना जाने कितनों ने इसकी ख़ातिर जान गवाई है
इंक़लाबियों को याद कर सुनाओ उनकी कहानी
गर्व से भरो सर्वदा भले ही आँख में ना आए पानी


आज़ादी के ख़ातिर तुम भी हो जाओ मतवाले
लड़ो अपने आप से बन जाओ हिम्मत वाले
आज़ादी के दीवानों को कल हमने ये कहते देखा
जय जय हिंदुस्तान के नारों को एक साथ रहते देखा

-दीपक राज़

नव पीढ़ी हैं हम

नव पीढ़ी हैं हम हिन्दुस्तान के
वंदे मातरम्,वंदे मातरम् गाएंगे

सबसे बड़ा संविधान हमारा
अम्बेडकर पर हमें है गर्व
लोकतंत्र है अद्वितीय हमारा
चलो मनाते हैं गणतंत्र पर्व
आजादी के हैं परवाने
वतन पे जान लुटाएंगे
नव पीढ़ी हैं……

हम हैं भारत माता के लाल
हमारी बात ही कुछ और है
दुनिया एक दिन मानेगी
हम ही जमाने की दौर हैं
हमारे हौसले हैं फौलादी
कांटों में फूल खिलाएंगे
नव पीढ़ी हैं…..

अब होगा दिग्विजय हमारा
शिखर पर परचम लहराएगा
वो  दिन अब  दूर  नहीं है
जब चांद पे तिरंगा छाएगा
इरादे नेक हैं हमारे
दुनिया को दिखलाएंगे
नव पीढ़ी हैं……

सुकमोती चौहान रुचि
बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.

बोल वंदे मातरम्

सांसों में गर सांसे है,
और हृदय में प्राण है।
अभिमान तेरा..है तिरंगा,
और राष्ट्र..तेरी शान है।
सिंह-सा दहाड़ तू…
और बोल वंदेमातरम्…
और बोल वंदेमातरम्….।


है ये ओज की वही ध्वनि,
जिससे थी अंग्रेजों की ठनी।
हर कोनें-कोनें में जय घोष था,
बाल-बाल में भरता जो रोष था।
करके मुखर गाया जिसे सबने,
वह गीत है वंदेमातरम्…..
चल तू भी गा और मै भी गाऊं,
हृदय के स्पंदन में वंदेमातरम्,
और बोल वंदेमातरम्….
और बोल वंदे मातरम्….।


वीरों में जिसने अलख जगाया था,
क्रांति लहर..को ज्वार दिलाया था।
जिसने गगन में लहराया जय हिंद,
वो राग है वंदे, वंदे मातरम्…
वो राग है वंदे…..,वंदे मातरम्….।
जिसे सुनकर शत्रु सारे कांपे थे,
डरकर जिससे सरहद से वो भागे थे।
गर्व करता है सैनिक जिसपे,
वो जाप है अमर, वंदे मातरम्…।


वो जाप है वंदे मातरम्,वंदे मातरम्।
पंजाब,सिंध, गुजरात और मराठा,
द्राविड़,उल्कल,बंग एकता का धार है।
पहचान है हिन्द का है वंदेमातरम्,
श्वास में जो ज्वाल सा निकले…,
शब्द-शब्द में है जिसमें बसते मेरे प्राण हैं।
वो गीत मेरा अभिमान है…..
पुक्कू बोल जोर से वंदे मातरम्…..।।
और बोल वंदे….मातरम्….।
और बोल वंदे….मातरम्….।

    ©पुखराज यादव “प्राज”
       पता- वृंदावन भवन-163, विख- बागबाहरा,जिला- महासमुन्द (छ.ग.) 493448

स्वतन्त्रता का दीप

स्वतन्त्रता का दीप है ये दीप तू जलाये जा
भारती जय भारती के गीत को तू गाये जा


(१)
अलख जो जग उठी है वो अलख है तेरी शान की
ये बात आ खडी है अब तो तेरे स्वाभिमान की
कटे नहीं,मिटे नहीं,झुके नहीं तो बात है
अपने फर्ज पर सदा डटे रहे तो बात है
तू भारती का लाल है ये भूल तो ना जायेगा
जो देश प्रति है फर्ज अपने फर्ज तू निभाये जा !!
भारती जय भारती के गीत को तू गाये जा !!

(२)
जो ताल दुश्मनों की है उस ताल को तू जान ले
छुपा है दोस्तों में जो गद्दार तू पहचान ले
भारती की लाज अब तो तेरा मान बन गयी
नहीं झुकेंगे बात अब तो आन पे आ ठन गयी
उठे नजर जो दुश्मनों की देश पर हमारे तो
एक-एक करके सबको देश से मिटाये जा !!
भारती जय भारती के गीत को तू गाये जा !!


(३)
मिली हमें आजादी कितनी माँ के लाल खो गये
हँसते-हँसते भारती की गोद  जाके खो गये
आजादी का ये बाग रक्त सींच के मिला हमें
भेद-भाव में बँटे जो साथ में मिला इन्हें
सौंप ये वतन गये जो हमसे उम्मीदें बाँध जो
सँवार के उम्मींदे उनकी देश को सजाये जा !!
भारती जय भारती के गीत को तू गाये जा !!
स्वतन्त्रता का दीप है ये दीप तू जलाये जा !
भारती जय भारती के गीत को तू गाये जा !!


शिवाँगी मिश्रा
9565396339
लखीमपुर-खीरी

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