सर्वश्रेष्ठ बाल कवितायेँ

घंटा पर कविता

घंटा बोला, चलो मदरसे,

निकलो, निकलो, निकलो घर से।

बोला, चलो मदरसे, जल्दी निकलो, अपने घर से ।

कपड़े पहनो, बस्ता ले लो,

जल्दी निकलो, अपने घर से ।

जल्दी निकलो, अपने घर से,

घंटा बोला, चलो मदरसे

गप्पू गपोड़ पर कविता

एक था, गप्पू गपोड़,

उसके जैसा कोई न जोड़।

एक दिन, खाकर बोर,

गप्पू बोला, वो रहा मोर।

सबने मुड़कर, देखा चाहा,

कोई न था, कुछ न था।

वापस मुड़कर देखा चोर,

गप्पू भागा, लेकर बोर।

कैसा था, गप्पू गपोड़,

उसके जैसा कोई न जोड़।

चीजों पर कविता

लड्डू, लट्टू, कच्ची ईंट,

ताला, चाबी, पक्की ईंट।

कली, कागज और करेला,

कच्चा मटका, गुड़ का भेला ।

शीशी, पन्नी, चाय की छन्नी,

पंजी, दस्सी और चवन्नी ।

कैंची, फावड़ा, गाय का गिरमा,

टोपी, जूता, आँख का सुरमा ।

इब्नबतूता पर कविता

इब्न बतूता, पहन के जूता,

निकल पड़े, तूफान में।

थोड़ी हवा, नाक में घुस गयी,

घुस गयी, थोड़ी कान में।

कभी नाक को, कभी कान को,

मलते, इब्नबतूता ।

इसी बीच में निकल पड़ा,

उनके पैरों का जूता

उड़ते-उड़ते, जूता उनका,

जा पहुँचा, जापान में।

इब्न बतूता, खड़े रह गए,

मोची की, दुकान में।

गोल वस्तु पर कविता

गोल-गोल, गोल-गोल,

सूरज गोल, चन्दा गोल,

सिक्का गोल, चक्का गोल,

और क्या-क्या, होता गोल,

नहीं मालूम, तो घूमो गोल।

नहीं मालूम तो घूमो गोल।

गोल-गोल, गोल-गोल,

अब रूक जाओ, बैठो गोल।

गोल, गोल, गोल, गोल,

गहरा कुँआ, गोल-गोल,

रात का चंदा, गोल-गोल

खिड़की, दरवाजे . . . .?

नहीं मालूम तो धूमो गोल

डोकरी माँ पर कविता

डोकरी मां, डोकरी मां, …क्या करे है?

बेटा, सुई ढूँढ हूँ।

माँ, सुई को क्या करोगी?

बेटा, थैली सिऊँगी।

माँ, थैली का क्या करोगी?

बेटा उसमें रूपये रखूँगी ।

माँ, तू रूपयों का क्या करोगी?

बेटा, एक भैंस खरीदूँगी।

माँ, भैंस का क्या करोगी?

बेटा, भैंस से दूध लगाऊँगी।

माँ, दूध का क्या करोगी?

बेटा, दूध से दही जमाऊँगी।

माँ, दही का क्या करोगी?

बेटा, बिलोकर मक्खन निकालूँगी।

माँ, मक्खन का क्या करोगी?

बेटा, मक्खन से घी बनाऊँगी।

माँ, घी का क्या करोगी?

हम सब मिलकर घी खायेंगे।

तब तो बड़ा मजा आयेगा, हा, हा, हा।

लालाजी पर कविता

लालाजी, लालाजी,

एक लड्डू दो।

लड्डू जो चाहिये, तो. चार आने दो।

लालाजी, लालाजी,

पैसे नहीं ।

पैसे नहीं हैं,

तो लड्डू नहीं ।

लालाजी, लालाजी,

आपकी मूँछें,

कितनी लम्बी हैं?

आपकी मूँछें,

कितनी प्यारी हैं?

आपकी मूँछें,

कितनी सुन्दर हैं?

बेटा जी, बेटाजी,

इधर आओ।

चार लड्डू चाहिये तो,

चार लड्डू लो ।

रेलगाड़ी पर कविता

छुक छुक छुक छुक गाड़ी आई,

आगे से हट जाना भाई।

हट जाना भाई, बच जाना भाई,

छुक छुक छुक छुक गाड़ी आई।

काला काला धुआँ उड़ाती,

फक फक फक फक शोर मचाती।

गाड़ी आई गाड़ी आई,

आगे से हट जाना भाई।

कुत्ता पर कविता

कुत्ता इक रोटी को पाकर,

खाने चला गाँव से बाहर।

नदी राह में उसके आई,

पानी में देखी परछाईं।

लिये है रोटी कुत्ता दूजा,

डराके छीनू, उसने सोचा।

लेकिन उसकी किस्मत खोटी,

भौंका ज्यों ही, गिर गई रोटी।

नींद पर कविता

मैं तो सो रही थी, मुझे मुर्गे ने जगाया,

बोला कुकहूँ कूँ कूँ हूँ।

मैं तो सो रही थी,

मुझे बिल्ली ने जगाया,

बोली-म्याऊँ म्याऊँ म्याऊँ ।

मैं तो सो रही थी,

मुझे मोटर ने जगाया,

बोली -पो पों पों।

मैं तो सो रही थी,

मुझे अम्मा ने जगाया,

बोली- उठ उठ उठ |

 छोटे बच्चे पर कविता

छोटे बच्चे नाचें-गाएँ,

गाल बजाये टेसूरा।

छोटे बच्चे खेलें-खाएँ,

तोंद फुलाये टेसूरा।

छोटे बच्चे शोर मचायें,

रो-रो आये टेसूरा।

छोटे बच्चे पढ़े-पढ़ायें,

मौज उड़ाये टेसूरा।

छोटे बच्चे नाचें- गाएँ,

गाल बजाये टेसूरा।

फौजों पर बाल कविता

पी पी पी पी डर डर डम,

नन्हें मुन्ने सैनिक हम।

सी है फौज हमारी,

पर उसमें है ताकत भारी ।

बड़ी-बड़ी फौजें झुक जाती,

जब ये अपना जोर दिखाती।

पी पी पी पी डर डर डम,

नन्हें मुन्ने सैनिक हम।

मुर्गा पर कविता

मुर्गा बोला कुक्कडू कूं,

चल मेरे भैया रूकता क्यूँ ।

कुत्ता भौंके, भों-भों-भों,

अटकी गाड़ी पौं- पौं-पौं।

बकरी आई, बिल्ली आई,

मैं-मैं आई, म्याऊँ – म्याऊँ आई।

धक्की गाड़ी धौं-धौं-धौं,

चल दी गाड़ी पौं- पौं-पौं।

बैलों की गाड़ी पर कविता

एक चली बैलों की गाड़ी,

जुते हुए दो बैल अगाडी,

बैठी थी कुल तीन सवारी,

चार बजे से की तैयारी,

पाँच मील पर लगा है मेला,

छ दिन से है रेलम पेला,

सात गाँव के लोग हैं आते,

आठ दिनों तक धूम मचाते,

नौ दिन तक मेला चलता,

दसवें दिन फिर कुछ नहीं मिलता।

गुड़िया रानी पर कविता

बाल कविता 1

डाक्टर देखो भली प्रकार,

मेरी गुड़िया है बीमार ।

कल था बरसा छम-छम पानी,

भीगी उसमें गुड़िया रानी।

गीले कपड़े दिए उतार,

फिर भी गुड़िया है बीमार

उसे लगाना थर्मामीटर,

ओ हो इतना तेज बुखार ।

सौ से भी ऊपर है चार,

देता हूँ मैं इसको पुड़िया

डाक्टर ले ली मैंने पुड़िया,

ले जाती मैं अपनी गुड़िया।

बाल कविता 2

गुड़िया मेरी रानी है,

बन्नो बड़ी सयानी है।

गुन-गुन गाना गाती है,

ताथई नाच दिखाती है।

हँसती रहती है दिन रात,

करती है वह मीठी बात।

ठुमक ठुमक कर आती है.

कंधे पर चढ़ जाती है।

झंडा पर कविता

झंडा मुझे बना देना,

तीन रंगों से सजा देना।

लाल किले पर जाऊँगा,

जयहिन्द जयहिन्द गाऊँगा।

तितली रानी पर कविता

रंग-बिरंगे पंख तुम्हारे, सबके मन को भाते हैं।

कलियाँ देख तुम्हें खुश होतीं फूल देख मुसकाते हैं ।।

रंग-बिरंगे पंख तुम्हारे, सबका मन ललचाते हैं।

तितली रानी, तितली रानी, यह कह सभी बुलाते हैं ।।

पास नहीं क्यों आती तितली, दूर-दूर क्यों रहती हो?

फूल-फूल के कानों में जा धीरे-से क्या कहती हो?

सुंदर-सुंदर प्यारी तितली, आँखों को तुम भाती हो।

इतनी बात बता दो हमको हाथ नहीं क्यों आती हो?

इस डाली से उस डाली पर उड़-उड़कर क्यों जाती हो?

फूल-फूल का रस लेती हो, हमसे क्यों शरमाती हो?

– नर्मदाप्रसाद खरे

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