प्रभु ने ऐसी दुनिया बनाई है-

प्रभु ने ऐसी दुनिया बनाई  है,
कही धूप तो कही गम की परछाई है।

रात का राजा देता है पहरा,
चांदनी छिटककर मन में समाई है।

निशा ने हर रूप है बदले,
धरा पर जुगनुओं की बारात आई है।

सारी फिजाओ को समेटे आगोश में,
अंजुमन में आने को जैसे मुस्काई हैं।

समीर ने लहराया परचम मीठा सा,
खामोश वादियों में गुंजी शहनाई है।

जागती है आंखे चंद ख्वाब बुनने में,
रब ने ऐसी मेहर हम पर बनाई है।

माधवी गणवीर
राजनांदगांव
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद


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