प्रेम बिना जीवन में रस नहीं
14 फरवरी प्रेम दिवस हेतु प्रस्तुति
प्रेम बिना जीवन में रस नहीं
प्रेम बिना जीवन में रस नहीं।
प्रेम करना पर अपने बस में नहीं।
किसी की आंखों में खो जाता है।
बस ऐसे ही प्रेम हो जाता है।
रहता नहीं खुद पर जोर।
मन भागता है हर ओर।
पर मिल जाता है मन का मीत
तब हो जाती है उससे प्रीत।
लिखते प्रेमी उस पर कविता
मन रहता जिस पर रीता।
हृदय बहती प्रेम की सरिता।
मन की रेखा से प्रेम पत्र लिख जाते ।
कितने प्रेम ग्रंथ लिख जाते,
पाकर प्रीतम की एक छवि।
जैसे ईश्वर को बिन देखे भी
उनके चित्र बनाते कलाकार। होकर भक्ति में लीन वैसे ही प्रेमी
बनाते हृदय अपने प्रिय की तस्वीर
कल्पनाओं को करते साकार। पूजते प्रिय को ईश के समान ।
इसी लिए कहते जग में सारे । दिल है मंदिर प्रेम है इबादत।
सरिता सिंह गोरखपुर उत्तर प्रदेश