प्रेम पत्र पर कविता
पत्र लिख लिख के फाड़े
भू को अम्बर भेज न पाए।
भेद मिला यह मेघ श्याम को
ओस कणों ने तरु बहकाए।।
मौन प्रीत मुखरित कब होती
धरती का मन अम्बर जाने
पावस की वर्षा में जन मन
दादुर की भाषा पहचाने
मोर नाचते संग मोरनी
पपिहा हर तरुवर पर गाए।
प्रेम पत्र ……………….।।
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तरुवर ने संदेशे भेजे
बूढ़े पीले पत्तों संगत
पुरवाई मधुमास बुलाए
चाहत फूल कली की पंगत
ऋतु बसंत ने बीन बजाई
कोयल प्रेम गीत दुहराये।
प्रेम पत्र………………..।।
शशि के पत्र चंद्रिका लाई
सागर जल मिलने को मचला
लहर लहर में यौवन छाया
ज्वार उठा जल मिलने उछला
अनपाए पत्रों को पढ़ कर
धरती का कण कण हरषाया।
प्रेम पत्र…………………….।।
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✍©
बाबू लाल शर्मा *विज्ञ*
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
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