रंगो का त्योहार होली – रिखब चन्द राँका
रंगो का त्योहार होली – रिखब चन्द राँका

होली पर्व रंगों का त्योहार,
पिचकारी पानी की फुहार।
अबीर गुलाल गली बाजार,
मस्तानो की टोली घर द्वार।
हिरण्यकश्यप का अभिमान,
होलिका अग्नि दहन कुर्बान।
प्रहलाद की प्रभु भक्ति महान,
श्रद्धा व विश्वास का सम्मान।
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अग्नि देव का आदर सत्कार,
वायु देव का असीम उपकार।
लाल चुनरिया भी चमकदार,
प्रह्लाद को भक्ति का पुरस्कार।
मस्तानों की टोली रंगो के साथ,
वर्धमान के पिचकारी रंग हाथ ।
लाल,हरा, नीला,पीला रंग माथ,
राधा रंगी प्रेम रंग में कृष्ण नाथ।
स्वादिष्ट व्यंजन गुंजियाँ तैयार,
पकौड़ी खाजा,पापड़ी भरमार।
गेहूँ चने की बालियाें की बहार
अाग पके धान प्रसाद,स्वीकार।
जग में प्रेम सुधा रस बरसाना,
दीन दु:खियों को गले लगाना।
सद्भाव के प्रेम दीपक जलाना ,
होली पर्व ‘रिखब’ संग तराना।
रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश’ जयपुर राजस्थान
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