रावण दहन पर कविता

रावण दहन पर कविता

लगा हुआ है दशहरे का मेला
खचाखच भरा पड़ा मैदान है
चल रही है अद्भुत रामलीला
जुटा पड़ा सकल जहान है

धनुष बाण लिए श्रीराम खड़े
सामने खड़ा शैतान है
होने वाला है रावण दहन
जयकारों से गूँज रहा आसमान है

अंत में हारती बुराई
रावण दहन प्रमाण है
सच्चाई की जीत हुई हमेशा
समय बड़ा बलवान है

लीजिए असंख्य अवतार प्रभु
अच्छाई आज लहूलुहान है
कलयुग में विपदा है भारी
घर-घर रावण विराजमान है

काम क्रोध लोभ कपट जैसी
आज के रावण की पहचान है
सभी बुराइयों का दहन कीजिए
विनती कर रहा हिंदुस्तान है

– आशीष कुमार
मोहनिया, कैमूर, बिहार

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