Join Our Community

Send Your Poems

Whatsapp Business 9340373299

संविधान पर दोहे

0 151

——संविधान——

सपने संत शहीद के,थे भारत के नाम।
है उन स्वप्नों का सखे, संविधान परिणाम।।

पुरखों ने निज अस्थियों,का कर डाला दाह।
जिससे पीढ़ी को मिले, जगमग ज्योतित राह।।

संविधान तो पुष्प है, बाग त्याग बलिदान।
अगणित अँसुवन धार ने,सींची ये मुस्कान।।

भीमराव अंबेडकर,थे नव भारत दूत।
संविधान शिल्पी कुशल, सच्चे धरा सपूत।।

लोकतंत्र संदर्भ में, संविधान का अर्थ।
ऐसी शासन-संहिता , जो जन करे समर्थ।।

मनसा वाचा कर्मणा,लक्ष्य लोक कल्याण।
लोकतंत्र में है यही, संविधान का प्राण।।

CLICK & SUPPORT

संविधान केवल नहीं, है नियमों का ग्रंथ।।
देशवासियों के लिए,यह जीने का पंथ।।

मानव-मूल्यों पर हुआ, संविधान निर्माण।
ध्येय सर्व हित सिद्ध हो, गिद्ध स्वार्थ से त्राण।।

स्वतंत्रता बंधुत्व का,समता का आधार।
राष्ट्र-एकता के लिए, आवश्यक व्यवहार।।

हैं मौलिक अधिकार तो, कुछ मौलिक कर्तव्य।
इनसे ही संभाव्य है,पहुँचें हम गंतव्य।।

अविचल ऐक्य अखंडता,करें सुनिश्चित तत्त्व।
गरिमा मानव की रखें,उनको दिए महत्त्व।।

संविधान सुंदर मगर, यदि शासक हो धूर्त।
कहें भीम, जनतंत्र तब, कभी न होगा मूर्त।।

समझें नेता नागरिक, संविधान का मूल्य।
शांति प्रगति संभव तभी,भारत बने अतुल्य।।

रेखराम साहू
बिटकुला, बिलासपुर, छ.ग.

Leave A Reply

Your email address will not be published.