संविधान का सम्मान

स्वतंत्रता के खातिर,कितने गंवाएं हैं प्राण,
संविधान के लिए,वीरों ने दी है अपनी जान।
अस्पृश्यता,दुर्व्यवहार में लिप्त था समाज,
समाज में अत्याचारी-राक्षस,करते थे राज।
दु:खियों,बेसहारों का होता था नित अपमान,
प्यारे हिन्दवासी किजीए,संविधान का सम्मान।

एक – रोटी के टुकड़े के लिए,तरसते थे जन,
आजादी के लिए पुकारता,धरती और गगन।
ज्ञान की रोशनी से दूर हुआ,जुल्म का अज्ञान,
प्यारे हिन्दवासी किजीए,संविधान का सम्मान।

आजादी के बाद,संविधान का कार्य था अधूरा,
संविधान का निर्माण,डॉ.साहेब ने किया पूरा।
26 नवंबर1949 को,पारीत हुआ संविधान,
26 जनवरी1950 को,लागू हुआ संविधान।
संविधान के निर्माण से,हिन्द बना है “सुल्तान”,
प्यारे हिन्दवासी किजीए,संविधान का सम्मान।

अधिकार,कर्तव्य और नियम हम अपनाते हैं,
खुशी-खुशी सभी के साथ,त्यौहार मनाते हैं।
कहता है “अकिल” संविधान है,देश का जान,
प्यारे हिन्दवासी किजीए,संविधान का सम्मान।

अब कोई नहीं छिन सकता,हमारा अधिकार,
संविधान लेकर आया है,खुशीयों का बहार।
देश का काम आया डा.आंबेडकर जी का ज्ञान,
प्यारे हिन्दवासी किजीए,संविधान का सम्मान।

अकिल खान.
सदस्य,प्रचारक “कविता बहार” रायगढ़ (छ.ग.)

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