सायली छंद में अर्चना पाठक की रचना
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चेहरा
देख सकूँ
नसीब में कहाँ
बिटिया दूर
बसेरा।
अहसास
बस तुम्हारा
पल-पल याद
सताती रही
आज।
याद
आते रहे
वो पल हरदम
जो सुनहरे
बीते।
तेरी
नटखट शैतानियाँ
महकता रहता था।
घर आँगन
मेरा।
अर्चना पाठक (निरंतर)
अम्बिकापुर