सद्व्यवहार – राकेश सक्सेना
रिश्ते बेजान से
मित्र अंजान से
अपने पराये से
हो जाते हैं,
जब सितारे
गर्दिश में हों।।
दुश्मन दोस्त
पराए अपने
और अपने
सर पे बिठाते हैं
जब सितारे
बुलंदी पर हों।।
मुंह देखी प्रीत
दुनियां की रीत है
धन, क्षणिक खुशी
सद्व्यवहार
असल जीत है।।
Leave a Reply