शीत के हाइकु
शीत के हाइकु
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जल का स्रोत
चट्टानों पर भारी
निकला फोड़ ।
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सांध्य गगन
सूरज को छिपाने
करे जतन ।
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शीत का रूप
सूरज बाँच रहा
स्नेहिल धूप ।
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शीत का घात
हिलते नहीं पेड़
ठिठुरें पात ।
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पहाड़ी गाँव
छिप गया सूरज
शीत का डर ।
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□ प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
(छत्तीसगढ़)