शिक्षक पर कविता

अंधकार को दूर कराकर,
उजियाला फैलाता हूँ।
बच्चों में विश्वास जगाकर,
शिक्षक मैं कहलाता हूँ।

नामुमकिन को मुमकिन कर,
शिक्षा का अलख जगाता हूँ।
बच्चों को राह दिखाकर ,
शिक्षक मैं कहलाता हूँ।

अज्ञानी को ज्ञानी बनाकर,
शिक्षा का हक दिलाता हूँ।
समाज को शिक्षित कराकर,
शिक्षक मैं कहलाता हूँ।

असभ्य को सभ्य बनाकर,
जीने का ढंग बताता हूँ।
शिक्षा का महत्व बताकर,
शिक्षक मैं कहलाता हूँ।

अंधविश्वास दूर भगाकर,
शिक्षा की चिंगारी जलाता हूँ।
राष्ट्र निर्माण कराकर,
शिक्षक मैं कहलाता हूँ।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना (छत्तीसगढ़)
मो. 8120587822

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