प्रस्तुत कविता शिव में शक्ति पर कविता भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

शिव में शक्ति पर कविता

शिव मंगल के हेतु हैं,
किन्तु दुष्ट प्रतिकार।
शक्ति कालिका ही करे,
रिपु दिल का संहार।।
गलता हो तन का कहीं ,
भाग करे जो तंग।
तुरत काटते वैद्य हैं,
व्याधि नाश हित अंग।।
ऐसे ही माँ कालिका,
रखतीं मृदुल स्वभाव।
लेकिन पति आदेश से,
करतीं रिपु पर घाव।।
वे समाज के रोग को,
काट करें संहार।
स्वच्छ भाग को सौपती ,
जग के पालनहार।।
करते हैं भगवान ही,
रक्षा , पालन खास।
धर्म, भक्त रिपुहीन हों,
हो अधर्म का नाश ।।
सबसे हो शिवभक्ति शुभ,
पाप कर्म से दूर।
हर -गौरी को पूजकर,
सुख पायें भरपूर।।
जैसे घृत है दुग्ध में,
दिखता नहीं स्वतंत्र ।
बिना मथे मिलता नही,
वैसे ही शिवतंत्र।।
शिव मे शक्ति रही सदा,
पृथक नही अस्तित्व ।
पडी़ जरूरत जब जहाँ ,

दिखता वहीं सतीत्व।।

एन्०पी०विश्वकर्मा, रायपुर

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