छंद
छंद

शोकहर/सुभांगी छंद में कविता

~ *शोकहर/सुभांगी छंद* ~
*विधान- 8,8,8,6*
*तुकांत- पहली दूसरी यति अंत तुकांत* 
*चरण- चार चरण सम तुकांत*

नंद दुलारे
जन जन प्यारे,
हे गोपाला,
ध्यान धरो।
हे कमलनयन
हे मनमोहन
नाथ द्वारिका
कृपा करो।

अजया अच्युत
अनया अदभुत
लाल यशोदा
कष्ट हरो।

हे ज्ञानेश्वर
हे मुरलीधर
पार्थसारथी
राह वरो।

हेआदिदेव
देवाधिदेव
वैकुंठनाथ
मतवाला।

हे परब्रह्मन
सत्य सनातन
नाच नचाए
ब्रज बाला।

हे मधुसूदन
हे नारायण
गाय चराए
रखवाला।

रूप मनोहर
प्रेम सरोवर
हे जगतारक
प्रतिपाला।

*©डॉ एन के सेठी*

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *