Send your poems to 9340373299

स्वभाव पर कविता

0 536

स्वभाव पर कविता

पचा लेता है विष,उसको सुधा में ढाल देता है,
अँधेरा हो जहाँ दीपक जतन से बाल देता है ।

ये छोटी मछलियाँ हैं खैर ये कब तक मनायेंगी,
बड़ी मछली के हाथों में शिकारी जाल देता है।

अमन का हाल चीखें शाहराहों की बताती हैं,
पहरेदार पर बचते हुए अहवाल देता है ।

CLICK & SUPPORT

न काटो पेड़,रोयेंगी,बहुत चिड़ियाँ परी गुड़िया,
इसी की डाल पे झूला लड़कपन डाल देता है।

परिन्दों ने नहीं छोड़ा बनाना घोसला अपना,
भले तूफान तेवर से बड़ा जंजाल देता है ।

समझता कर्ज माटी का,वतन की शान पे मरता,
चुनौती काल को भी काल बनकर लाल देता है।

अखरती दुश्मनों को बात जो वो सिर्फ इतनी है,
वो करते चोट पर हँसता हुआ ये टाल देता है।

रेखराम साहू  (बिटकुला बिलासपुर छग )

Leave A Reply

Your email address will not be published.