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गाय पालन पर छत्तीसगढ़ी कविता
गाय पालन पर छत्तीसगढ़ी कविता जानवरों पर कविता पैरा भूँसा ,कांदी-कचरा,कोठा कोंन सँवारे,हड़ही होगे ,बछिया कहिके रोजेच के धुत्कारे।। बगियाके बुधारू ,छोड़िस,गउधन आन खार।बांधे-छोरे जतने के,झंझट हे बेकार।। बछिया आगे…