किस मंजिल की ओर ?

किस मंजिल की ओर ? क्यारी सूख रही है निरंतर..आग जल रही हैं हर कहीं..घर हो या पास पडौ़स ..विश्वास की डोर नहीं है…टूट रही हैं नित ख्वाहिशेंनहीं  रहा है भाईचारा…प्रेम…स्नेह छूट गया है..कहीं दूर…अंतरिक्ष सदृश्य..वैमनस्य पलने लगा है नजरों में..अंधकार छा रहा है… बादल धुलते नहीं है… अबमन की कालिख…दिल की काल कोठरी मेंईर्ष्या … Read more

आज मैं बोलूंगा

आज मैं बोलूंगा आज मैं बोलूंगा…खुलकर रखूंगा अपने विचार…अभिव्यक्ति की आजादी जो हैं…सीधे सपााट, सटीक शब्द रखूंगा…आम जनता के मन मस्तिष्क में ..समाने वाले..मस्तिष्क की गहराईयोंं तक…उतर जायेंगे…मौन शब्द…करेंगे …प्रहार पर प्रहार… छलनी करेेंगे…अन्तर्आत्मा…नहीं कहूूंंगा अनर्गल…कहना भी नहीं चाहिए क्योंकि…अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब…किसी पर कुछ भी… जबरन लादना तो नहीं है…नहीं भूलूंगा अपनी सीमाएं….करूंगा … Read more