कुंडलिया
ताका झांका मत कर,निजता करे न भंग।
खोटा पड़े स्वभाव जी,बिगड़े संग कुसंग।
बिगड़े संग कुसंग,दशा जीवन की बिगड़े।
अच्छा रखो स्वभाव,काम हो सब ही तगड़े।
कहै मदन समझाय, ईश की सत्य पताका।
बने आपकी साख,करे क्यू ताका झाँका।।
मदन सिंह शेखावत ढोढसर