तंबाकू जीवन को घातक (विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर कविता)-उपमेन्द्र सक्सेना
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31 मई को दुनिया भर में हर साल विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य तंबाकू सेवन के व्यापक प्रसार और नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित करना है, जो वर्तमान में दुनिया भर में हर साल 70 लाख से अधिक मौतों का कारण बनता है, जिनमें से 890,000 गैर-धूम्रपान करने वालों का परिणाम दूसरे नंबर पर हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सदस्य राज्यों ने 1987 में विश्व तंबाकू निषेध दिवस बनाया। पिछले इक्कीस वर्षों में, दुनिया भर में सरकारों, सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों, धूम्रपान करने वालों, उत्पादकों से उत्साह और प्रतिरोध दोनों मिले हैं।

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तंबाकू जीवन को घातक (विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर कविता)
तंबाकू जीवन को घातक, फिर क्यों लोग इसे अपनाएँ।
कई तरह से इसका सेवन, करके अपनी तलब मिटाएँ।।
बीड़ी हों या सिगरेटों में,तंबाकू कितने पी जाते।
जर्दा या खैनी को भी अब, बड़े चाव से लोग चबाते ।।
पानों में भी तंबाकू को, कितने लोग यहाँ पर खाते।
और मित्र बनकर कितनों को, वे हैं इसका स्वाद चखाते।।
मिलता जो आनन्द बने लत, तंबाकू को छोड़ न पाएँ ।
दुष्प्रभाव जब इसका होता, फिर तो जीवन भर पछताएँ।।
आज तीसरे नम्बर पर है, तंबाकू भारत में होती ।
इसीलिए तो खपत भी यहाँ, बहुत अधिक पीड़ा को बोती।।
कितने घर परिवार बिलखते, दुनिया अपनों को ही खोती।
जब इलाज को रहे न पैसा, आँसू गिरते बनकर मोती।।
तंबाकू ने आज बदल दीं, युवा वर्ग की यहां दिशाएँ।
लड़के और लड़कियाँ दोनों, सिगरेटों का धुआँ उड़ाएँ।।
मुख, खाने की नलिका या फिर,श्वसन तंत्र में जो हो जाता।
तंबाकू से जनित कैंसर, लोगों को फिर बहुत सताता।।
पाचन तंत्र ऊपरी हिस्सा, भी इससे है क्षति को पाता।
धूम्रपान से निकोटीन तो, हृदय रोग को खूब बढ़ाता ।।
तंबाकू के विक्रय पर अब, सरकारें प्रतिबन्ध लगाएँ।
स्वस्थ रहें सब यही कामना, खुशहाली जीवन में लाएँ।।
-उपमेन्द्र सक्सेना एड.
‘कुमुद- निवास’
301, कुॅंवरपुर, बरेली- 243003( उ. प्र.)