•तू कदम बढाकर देख•

मंजिल बुला रही है
तू कदम बढाकर  देख
खुशियाँ गुनगुना रही है
तू गीत गाकर देख

काँटे ही नहीं पथ में,
फूल भी तुम्हें मिलेंगे
पतझड़ का गम ना करना,
गुलशन भी तो खिलेंगे

बहारें बुला रहीं है,
कोंपल लगाकर देख

पीसती है जब वसुंधरा
तभी दामन होता है हरा
तप-तप कर अग्नि में ही
कुंदन होता है खरा

जिन्दगी मुस्कुरा रही है
तू सर उठाकर देख

कदम -कदम चलके ही
मंजिल है पास आती
चलकर काँटों से ही
खुशियाँ गले लगाती

राह जगमगा रही है
तू शमां जलाकर देख

मन की बात क्या है
अंधेरी रात क्या है
विश्वास ही जिंदगी है
थकने की बात क्या है

विजया बुला रही है
तू आस लगाकर देख

सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़


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