तू मेरा मालिक मालिक है मेरा

कविता संग्रह
कविता संग्रह

तू मेरा मालिक , मालिक है मेरा

तुझसे ही रोशन , मेरी जिन्दगी है |

हुआ मैं रोशन , करम से तेरे

तुझसे ही रोशन , मेरी जिन्दगी है |

अपना समझना , सदा ही मुझको

पीर मेरी , फ़ना हो रही है |

तेरे दीदार की, आरज़ू है मुझको

हैं आसपास महसूस करता हूँ तुझको |

तेरे करम का , साया है मुझ पर

तुझसे ही रोशन , मेरी जिन्दगी है |

गीत बनकर रोशन हो जाऊं मैं

ग़ज़ल बनकर निखर जाऊं मैं

ज़ज्बा हो इंसानियत का मुझमे

पीर सबके दिलों की मिटाऊँ मैं

तेरे करम से रोशन हुई कलम मेरी

तेरी इबादत को अपना मकसद बना लूं मैं

तेरा शागिर्द हूँ , नाज़ है मुझको तुझ पर

तेरे दर का चराग कर लूं खुद को

मेरे मुकद्दर पर , हो तेरी इनायत और करम

तेरी इबादत में खुद को फ़ना कर लूं मैं |

तू मेरा मालिक , मालिक है मेरा

तुझसे ही रोशन , मेरी जिन्दगी है |

हुआ मैं रोशन , करम से तेरे

तुझसे ही रोशन , मेरी जिन्दगी है |

रचयिता – अनिल कुमार गुप्ता ” अंजुम”

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