तुम एक अनार हम सौ बीमार
तुम एक अनार हम सौ बीमार
तुम एक अनार ,हम सौ बीमार ।
किसको चाहोगी यार किसको दोगी प्यार ।।
हम एक थैली के चट्टे बट्टे ।
कुछ कुछ मीठें कुछ है खट्टे ।
एक एक की रग जान लो,
फिर करना इकरार ।।
यूं तो एक और एक ग्यारह होते हैं ,
पर इस बात से सब किनारा होते हैं।
कौन होगा सहारा ,करोगी किसको किनारा ,
इसका है इंतजार।।
हां एक हाथ से ताली नहीं बजती,
पर एक म्यान में दो तलवार नहीं रहती।
सबको एक आंख से देखूँ मगर
सबको करूं तकरार ।।
मैं एक अनार तुम सौ बीमार ।
सबको करूं बेकरार सबको करूँ इनकार।।
- मनीभाई “नवरत्न”