नया इतिहास बनाओ-अमन शर्मा
नया इतिहास बनाओ
एक सपना जो मैंने देखा था।
वो सपना जो हमने साथ देखा था
जब कुछ नहीं था इरादों के सिवा हमारे पास
उस वक़्त अपनों के साथ हमे जोड़ता है एक सपना।।
नहीं था सितारों से रिश्ता मगर उसका हौसला बुलंद था
बनाया एक यान बिना मदद कलाम ने और उसे अकेले उड़ाया था।
मर मिटने की जिस बच्चे ने क़सम खाई थी।
ख़ून से भरी थी सारी ज़मी पर उस सिपाही ने तिरंगे की लाज बचाई थी।।
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सब खो चुका है न जाने किस दौड़ में
भूल कर भाग चुके है आज अपने ही अपनों को छोड़ के।।
जन्म है आज नया सबका फिर से चलो सब हाथ बढ़ाओ
उठो, जागों, और फिर से नया इतिहास बनाओ।।
मिलो गले तुम अपनो से न पूछो उससे उसकी ज़ात
कौन है हिंदू , को है मुस्लिम,
सब मे है एक आज़ाद और कलाम।
अमन शर्मा,रायगढ़ (छ. ग.)