वाणी और भाषा का प्रयोग

वाणी ऐसी बोलिये मन का आपा खोय ,

औरन को शीतल करे आपहु शीतल होय।

भाषा ऐसी राखिये जो प्रेम भाव से सोएं ,

औरन को सुख दे के प्रीत घनेरी होय ।।

भाषा को तोडें नहीं, न मोडें ओर से छोर,

भाषा सरल बनाइये, चर्चा हो चहुँ ओर।

सबका मन चुराई ले, वाणी है ही ऐसी चोर,

वाणी नाही संभाली तो हो जाए द्वन्द घनघोर।।

भाषा का प्रयोग करले सोच समझकर यार,

सभ्य वाणी के प्रयोग से मिल जाये सबका प्यार।

अभद्र भाषा बोल के, मच जाए जग में शोर ,

वाणी के सुखद प्रयोग से नाचे मन का मोर ।।

भाषा बहुत या दुनिया में कछु नैनन की कछु मन की,

वाणी के दो ही भाव हैं कभी उपवन सी कभी बाणन सी।

नैनन की भाषा तो होवे , पुलकित मन के भाव सी,

बाणन सी वाणी करे, उर में गहरे घाव जी ।।

भाषा को वाणी संग तोल मोलकर बोल,

सब भूलें वर्षों की प्रीत को, जो बोले कटुता के बोल।

भाषा और वाणी को मीठे रस में घोल ,

पहुँचे सबके हृदय तक, बोलो वचन अनमोल।।

मातृभाषा का हम गान करें,

वाणी का कुछ ध्यान धरें ।

उचित शब्दों का प्रयोग कर,

जग में हिंदी का सम्मान करें ।।
– प्रिया शर्मा

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *